यूक्रेन-चीन से लौटे छात्रों को राहत, 30 जून तक डिग्री पूरी कर चुके छात्र दे सकेंगे FMGE

ऐसे भारतीय छात्र जो अपने स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में थे और कोरोना महामारी या रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत लौट आए, उन्हें विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा/FMGE में बैठने की अनुमति मिलेगी।
यूक्रेन-चीन से लौटे छात्रों को राहत, 30 जून तक डिग्री पूरी कर चुके छात्र दे सकेंगे FMGE

विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए राहत वाली खबर है। ऐसे भारतीय छात्र जो अपने स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में थे और कोरोना महामारी या रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत लौट आए, उन्हें विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा/FMGE में बैठने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, इसके लिए छात्रों की पढ़ाई पूरी होना और 30 जून या उससे पहले तक कोर्स को पूरा कर के सर्टिफिकेट प्राप्त करना जरूरी होगा। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने इसे लेकर आधिकारिक घोषणा कर दी है।

एनएमसी ने जारी किया नोटिस

एनएमसी ने अपने नोटिस में बताया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 29 अप्रैल को पारित आदेश के अनुसार यह सूचित किया जाता है कि भारतीय छात्र जो अपने स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में थे और कोविड-19 या रूस-यूक्रेन युद्ध आदि के कारण अपने विदेशी चिकित्सा संस्थान को छोड़कर भारत लौट आए और बाद में अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है। उन्हें FMG परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। छात्रों को 30 जून, 2022 को या उससे पहले अपने संबंधित संस्थान द्वारा पाठ्यक्रम पूरा करने का प्रमाण पत्र प्राप्त करना आवश्यक है।

सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को दिया था निर्देश

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को नेशनल मेडिकल काउंसिल को रूस-यूक्रेन युद्ध और महामारी से प्रभावित एमबीबीएस छात्रों को एक बार के उपाय के रूप में यहां के मेडिकल कॉलेजों में अपना क्लीनिकल ट्रेनिंग पूरा करने की छूट देने दो महीने में एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था।

दो वर्ष तक सीआरएमआई जरूरी

विदेशी चिकित्सा स्नातक छात्र दो वर्ष तक सीआरएमआई (CRMI) पूरा करने के बाद ही भारत में पंजीकरण प्राप्त करने के पात्र होंगे। एनएमसी ने बताया है कि छात्रों की क्लीनिकल ट्रेनिंग के लिए इंटर्नशिप की अवधि को दोगुना कर दिया गया है, जिसमें विदेशी चिकित्सा स्नातकों द्वारा विदेशों में संस्थानों में अपने पाठ्यक्रम के दौरान शारीरिक रूप से भाग नहीं लिया जा सका है और उन्हें क्लीनिकल ट्रेनिंग के लिए इंटर्नशिप की अवधि में भारतीय परिस्थितियों में मेडिकल प्रैक्टिस से परिचित कराया जाना जरूरी है।

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