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Corona Virus को अमेरीकी राष्ट्रपति ट्रंप के ‘चाइनीज वायरस’ कहने पर भड़का चीन

हो सकता है ट्रंप का यह बयान चीन के उस बयान पर आया हो जिसमें चीन ने अमेरिकी सेना पर आरोप लगाया था कि वो इस वायरस को उसके क्षेत्र में लेकर आए।

savan meena

डेस्क न्यूज –  एक तरफ जंहा कोरोना वायरस दुनिया के हर कोने में पैर पसार चुका है वही इस को लेकर भारत की तैयारियों की दुनिया भर में तारीफ हो रही है, हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद मोदी द्वारा सार्क देशों की कांफ्रेस बुलाये जाने की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी तारीफ थी,

वही कोरोना वायरस को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा "चाइनीज वायरस कहने पर चीन भड़क गया है और ट्रंप के इस बयान पर चीन ने गुस्से में प्रतिक्रिया व्यक्त की चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने अमरीका को चेतावनी देते हुए कहा है कि वो चीन को ऐसा कहने से पहले अपने काम पर ध्यान दें। कोरोना वायरस का पहला मामला दिंसबर 2019 में चीन के वुहान शहर में पाया गया था।

हो सकता है ट्रंप का यह बयान चीन के उस बयान पर आया हो जिसमें चीन ने अमेरिकी सेना पर आरोप लगाया था कि वो इस वायरस को उसके क्षेत्र में लेकर आए। चीन के विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह ही कहा था कि कोरोना वायरस एक साज़िश है जिसे अमरीकी सेना उसके क्षेत्र में लेकर आयी है। इस पर अमरीका के  विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा था कि चीन ग़लत सूचनाएं न फैलाए। विदेश मंत्री ने कहा था कि चीन अपने दोष हमारे दुसरे पर लगा रहा है।

अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने कोरोना वायरस को 'चीनी वायरस' कहा था। इसपर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी है कि इस वायरस को किसी ख़ास समूह या क्षेत्र से जोड़ना ग़लत है। हालांकि, कई अमरीकी प्रशासनिक अधिकारी इसको चीनी वायरस कह रहे हैं,पॉम्पियो भी कई बार इसको 'वुहान वायरस' कह चुके हैं,

वही डोनाल्ड ट्रम्प का कहना है कि कोरोनोवायरस संकट अगस्त तक यूएस ने खत्म हो जाएगा। आपको बता दें अब तक कोरोना वायरस के दुनिया भर में 170,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, सबसे लोग संक्रमित पाये गये है।

चीन-अमेरीकी के बीच लंबे समय से चल रहे ट्रेड वार की वजह से दोनों देशों के बीच संबंध थोडे तनावपूर्व है हालाकि दोनों देशों के बीच पहले दौरे की ट्रेड डील हो चुकी है,  राष्ट्रपति ट्रम्प ने लंबे समय से चीन पर अनुचित व्यापारिक व्यवहार और बौद्धिक संपदा की चोरी का आरोप लगात् रहे है, जबकि चीन मानता है कि अमेरिका चीन को वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरता देख परेशान है और उस पर  अंकुश लगाने की कोशिश कर रहा है।

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