डेस्क न्यूज़- साउथ डिस्ट्रिक्ट के साइबर सेल ने एक ऐसे जालसाज को गिरफ्तार किया है, जो विदेशी बैंकों को चूना लगा रहा था. पुलिस का दावा है कि आरोपी क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करता था और फिर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उसे बनवाने में सफल भी रहता था. इसके बाद फर्जी पहचान पर तैयार कराए गए क्रेडिट कार्ड से बैंकों को लाखों रुपए का चूना लगा रहा था. दिल्ली पुलिस का कहना है कि इस आरोपी के खिलाफ अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक की तरफ से शिकायत मिली थी. फिलहाल पुलिस ने 15 लाख से ज्यादा की ठगी का हिसाब किताब ढूंढ निकाला है. आरोपी के पास से एक एमजी हेक्टर कार भी बरामद की गई है, जो उसने हाल ही में खरीदी थी.
साउथ डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी अतुल ठाकुर ने बताया कि अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक की तरफ से शिकायत मिली कि उनके बैंक से फर्जी पहचान पर 4 क्रेडिट कार्ड बनवाए गए. उन कार्ड से कम समय के अंदर ही लाखों रुपये की खरीदारी की गई. बैंक ने ये भी बताया कि क्रेडिट कार्ड की पेमेंट के लिए फर्जी चेक दिए गए. बैंक ने ये भी बताया कि चारों कार्ड बनवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया गया था. बैंक को कुल 15 लाख 39 हजार 484 रुपये का चूना लगा. बैंक ने पुलिस को ये भी बताया कि कार्ड को पेट्रोल पंप पर स्वाइप कर उसके बदले में रकम ली गयी. फिलहाल एफआईआर दर्ज कर साइबर सेल को जांच सौंप दी.
साइबर सेल की जांच में सामने आया कि कार्ड बनने से पहले फिजिकल वेरिफिकेशन भी किया गया था. जिन पते पर कार्ड बने थे, उनपर जाकर जांच की गई तो मालूम हुआ कि कुछ समय के लिए वह घर या फ्लैट किराये पर लिया गया था. पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस आदि की मदद से उस व्यक्ति का सुराग हासिल कर लिया, जो ठगी के इस धंधे को चला रहा था. उसकी पहचान राजू पार्क, खानपुर दिल्ली निवासी शकील आलम के रूप में की गई. जैसे ही उसे पुलिस कार्रवाई की भनक लगी उसने अदालत में अंतरिम जमानत की अर्जी लगाई. अदालत से अर्जी खारिज होने के बाद वह पुलिस के सामने नहीं आया, जिसके बाद पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस की मदद से छापेमारी कर उसे गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस ने बताया कि आरोपी शकील महज 10वीं पास है. वह पिछले 3 सालों से पत्थर, टाइल्स और फाल्स सीलिंग का काम कर रहा था. पुलिस जांच में सामने आया कि उसके सात बैंक अकाउंट हैं, जो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, ताकि सिबिल स्कोर अच्छा रहे.
पुलिस ने दावा किया है कि शकील इंटरनेट के माध्यम से अलग-अलग लोगों के फोटो और उनके पहचान पत्र आदि हासिल कर लिया करता था, जिसके बाद उसी पहचान पर क्रेडिट कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन करता था. क्रेडिट कार्ड आसानी से बन जाए इसके लिए वह अच्छी और महंगी कॉलोनियों में फ्लैट या मकान किराए पर लेता था, जो बेहद कम समय के लिए किराए पर लिया जाता था. एक बार जब क्रेडिट कार्ड का वेरिफिकेशन हो जाता था और फिर कार्ड की डिलीवरी हो जाती थी, तो उस मकान को खाली कर दिया करता था.
पुलिस का दावा है कि आरोपी ने फर्जी बैंक अकाउंट भी खुलवाए थे. इसके अलावा उसने कुछ कंपनी रजिस्टर करवाई हुई थी, जिसमें अपने रिश्तेदारों और परिवार वालों को ही कर्मचारी के तौर पर दिखाया हुआ था. उनकी सैलरी देने के नाम पर बैंक अकाउंट में पैसा रोटेट करता था. उसके सात बैंक अकाउंट सामने आए हैं, जो एक दूसरे से लिंक हैं. इसकी वजह भी यह बताई गई है कि उसका सिविल स्कोर काफी अच्छा रहता था, जिसकी वजह से उसे लोन आदि आसानी से मिल जाता था. हाल ही में उसने एमजी हेक्टर कार खरीदी है.