न्यूज़- संयुक्त राष्ट्रसंघ (यूएन) की तरफ से भारत-चीन के बीच जारी हालातों में आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया दी गई है। यूएन ने कहा, 'बेहतर होगा दोनों पक्ष फैसला लें कि वह किसे मध्यस्थता के लिए चाहते हैं, यह हमारी राय देने का क्षेत्र नहीं है।' आपको बता दें कि गुरुवार को ट्रंप ने कहा था कि अगर भारत और चीन दोनों राजी हैं तो फिर वह मसले में मध्यस्थता कर इसे सुलझाने के लिए तैयार हैं।
यूएन के मुखिया एंटोनियो गुटारेशे के प्रवक्ता की तरफ से ट्रंप के प्रस्ताव को लेकर बयान दिया गया। प्रवक्ता की तरफ से कहा गया, 'हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और हम दोनों पक्षों से अपील करते हैं कि किसी भी ऐसी कार्रवाई से बचें जो नियंत्रण रेखा पर हालातों को और ज्यादा तनावपूर्ण बन दे।' ट्रंप ने बुधवार को ट्वीट किया और लिखा, 'हमने भारत और चीन दोनों को जानकारी दे दी है कि अमेरिका तैयार है और उनके सीमा विवाद में हस्तक्षेप या मध्यस्थता करना चाहता है।' भारत और चीन के बीच 3500 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी है। इसके एक छोर पर कश्मीर तो एक छोर पर म्यांमार आता है। पिछले दो हफ्तों से सिक्किम और लद्दाख में सब-कुछ ठीक नहीं है। इस बार तनाव का केंद्र बिंदु है गलवान घाटी।
कहा जा रहा है कि चीनी सेना गलवान घाटी तक आ गई है। भारत की तरफ से बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है। पिछले वर्ष बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने डारबुक-श्योक-डीबीओ यानी दौलत बेग ओल्डी में एक सड़क का निर्माण शुरू किया था। यह हिस्सा भारत की सीमा में पड़ता है। जिस जगह पर सड़क निर्माण हो रहा है वह भारतीय सीमा के 10 किलोमीटर के अंदर है और तकनीकी तौर पर भारत की सीमा है। लेकिन चीन इस बात को मानने पर राजी नहीं है। यह सड़क खासतौर पर गलवान नदी से होकर गुजरती है। सड़क को एलएसी से जोड़ने के मकसद से भारत इस सड़क का निर्माण करा रहा है। चीन को इस बात पर ही आपत्ति है।