डेस्क न्यूज़- रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इसे 4 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। इससे घर समेत अन्य कर्ज की ईएमआई कम होने की उम्मीद खत्म हो गई है। रिवर्स रेपो रेट को 3.35 फीसदी पर रखा गया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार सुबह 10 बजे आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मॉनेटरी पॉलिसी समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीति के रुख को लचीला बनाए रखेगा।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 2 जून को शुरू हुई थी। समिति रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट के बारे में फैसला करती है। ज्यादातर जानकारों का मानना था कि इस बार मौद्रिक नीति में केंद्रीय बैंक रेपो रेट में बदलाव नहीं करेगा। इसे 4 फीसदी पर बरकरार रखा जाएगा, जबकि रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर रहेगा।
आरबीआई (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी समिति (Monetary Policy Committee) की बैठक 2 जून को शुरू हुई थी। समिति रेपो रेट (Repo Rate) और रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rage) के बारे में फैसला करती है। ज्यादातर जानकारों का मानना था कि इस बार मौद्रिक नीति में केंद्रीय बैंक रेपो रेट में बदलाव नहीं करेगा। इसे 4 फीसदी पर बरकररार रखा जाएगा, जबकि रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर बना रहेगा।
जब आरबीआई रेपो रेट घटाता है तो कर्ज सस्ता हो जाता है। इसके उलट रेपो रेट बढ़ने पर कर्ज महंगा हो जाता है। आरबीआई हर दो महीने में रेपो रेट की समीक्षा करता है। रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक आरबीआई से कर्ज लेते हैं। आमतौर पर बैंकों की कर्ज दर रेपो रेट पर निर्भर करती है। रेपो रेट में बदलाव का फैसला एमपीसी के सदस्य करते हैं। रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों को आरबीआई में जमा उनके पैसे पर ब्याज मिलता है।
आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति में अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में भी बताता है। वह मुद्रास्फीति का अपना अनुमान भी प्रस्तुत करता है। केंद्रीय बैंक ने इस बार महंगाई के अपने अनुमान में मामूली कमी की है।