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बिजली संकट: 17 प्लांट में कोयला खत्म, हरियाणा में 66% तक बिजली उत्पादन घटा, कई राज्यों में उत्पादन क्षमता से कम

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की मंगलवार को आई रिपोर्ट के मुताबिक देश के 135 बिजली संयंत्रों में से 17 में एक दिन का भी कोयला नहीं है। इनकी कुल क्षमता 16,430 मेगावाट है। 34,930 मेगावाट क्षमता वाले 26 संयंत्रों में एक दिन का कोयला बचा है। 40 संयंत्रों में 2 से 3 दिनों के लिए कोयला है, जिससे 51,419 मेगावाट बिजली पैदा होती है।

Vineet Choudhary

डेस्क न्यूज़- देश में कोयला संकट और बिजली कटौती के बीच राज्यों के बिजली संयंत्रों में बिजली उत्पादन की स्थिति की ताजा तस्वीर सामने आई है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के नेशनल पावर पोर्टल की मंगलवार को आई एक रिपोर्ट के मुताबिक कई राज्यों में प्लांट अपनी क्षमता से कम बिजली पैदा कर पा रहे हैं। पोर्टल के अनुसार, हरियाणा के बिजली संयंत्रों में बिजली उत्पादन में 66% की कमी आई है। वहीं गुजरात के बिजली संयंत्रों में 40 फीसदी कम बिजली पैदा हो रही है। मध्य प्रदेश में 35 फीसदी और महाराष्ट्र में 25 फीसदी कम बिजली पैदा हो रही है।

इन राज्यों में उत्पादन क्षमता से कम

वहीं, पंजाब के बिजली संयंत्रों में 38 फीसदी कम बिजली पैदा हो रही है। राजस्थान और झारखंड में बिजली संयंत्र क्रमशः 51% और 50% कम बिजली पैदा कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के बिजली संयंत्रों का उत्पादन 25% कम हो गया है। दक्षिणी राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश के बिजली संयंत्रों में 45 फीसदी बिजली उत्पादन कम किया जा रहा है। कर्नाटक में बिजली संयंत्र 62% कम उत्पादन कर रहे हैं। तमिलनाडु और तेलंगाना में स्थिति बेहतर है। दोनों जगहों प उत्पादन में क्रमश: 5 और 2% की कमी आई है।

135 बिजली संयंत्रों में से 17 में सिर्फ एक दिन का कोयला

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की मंगलवार को आई रिपोर्ट के मुताबिक देश के 135 बिजली संयंत्रों में से 17 में एक दिन का भी कोयला नहीं है। इनकी कुल क्षमता 16,430 मेगावाट है। 34,930 मेगावाट क्षमता वाले 26 संयंत्रों में एक दिन का कोयला बचा है। 40 संयंत्रों में 2 से 3 दिनों के लिए कोयला है, जिससे 51,419 मेगावाट बिजली पैदा होती है। 32 पौधों में कोयला 4 से 6 दिन के लिए बचा रहता है। वहां 37,435 मेगावाट बिजली पैदा होती है।

कोल इंडिया से लगातार की जा रही आपूर्ति

कोल इंडिया से सड़क-रेल से लगातार आपूर्ति की जा रही है, इसलिए स्टॉक भी बदल रहा है। 16 बिजली संयंत्र खदानों के बहुत करीब हैं, उन्हें सड़क या रेल मार्ग से कोयले का परिवहन नहीं करना पड़ता है। खदानों से कोयला निकाल कर सीधे प्लांट में पहुंच जाता है। इन संयंत्रों की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 35,200 मेगावाट है और इन संयंत्रों के पास उपलब्ध औसत स्टॉक लगभग 5 दिनों का है।
जबकि देश के शेष 119 बिजली संयंत्रों में से 10 कोयला खदानों से 1500 किमी से अधिक की दूरी पर या समुद्र तट के करीब स्थित हैं। ऐसे 10 संयंत्रों में से 8 संयंत्रों में 5 दिनों के लिए और 2 संयंत्रों में 9 दिनों के लिए कोयले का भंडार है। शेष 109 संयंत्रों में से 70 के पास 4 दिन का कोयला उपलब्ध है और 26 संयंत्रों के पास 7 दिनों का कोयला स्टॉक में है।

पीएमओ ने आपूर्ति बढ़ाने और रेलवे को रैक उपलब्ध कराने को कहा

इधर, प्रधानमंत्री कार्यालय ने मंगलवार को कोयला आपूर्ति और बिजली उत्पादन की स्थिति की समीक्षा की। राजस्थान से लेकर केरल तक बिजली संकट के बीच ऊर्जा सचिव अलेक्स कुमार और कोयला सचिव एके जैन ने बिजली और कोयले की आपूर्ति की स्थिति की पूरी जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक, कोयला मंत्रालय ने आपूर्ति बढ़ाने के साथ ही रेलवे को रैक उपलब्ध कराने को कहा है।

केंद्र ने आपूर्ति बढ़ाने के दिए निर्देश

केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जेशी ने कहा कि 20-21 अक्टूबर तक कोयले की आपूर्ति 19.5 लाख टन से बढ़कर 20 लाख टन प्रतिदिन हो जाएगी। बिजली उत्पादन इकाइयों के लिए कोयले की कमी नहीं होगी। कॉल इंडिया के पास 22 दिन का स्टॉक है। हालांकि, कोल इंडिया की आपूर्ति को अपर्याप्त मानते हुए सरकार ने इसमें तेजी लाने को कहा है। केंद्र ने राज्यों को चेतावनी दी है कि अगर उनकी बिजली इकाइयां बढ़ी हुई कीमतों का केफायदा उठाने लिए बिजली बेचती पाई गईं तो उनके कोयले का कोटा कम कर दिया जाएगा।

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