पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर मुस्लिम देशों का समर्थन नहीं दिखता। इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने प्रधानमंत्री इमरान खान की कई अपीलों के बाद भी कश्मीर मुद्दे पर बयानबाजी नहीं की है। उन्हें इस मुद्दे पर यूएई, बांग्लादेश समेत ज्यादातर मुस्लिम देशों का समर्थन नहीं मिल रहा है। अब दुबई ने भारत के पक्ष में फैसला लेकर पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है।
धारा 370 को खत्म करने के करीब दो साल बाद दुबई ने कश्मीर में निवेश करने का फैसला किया है। बुनियादी ढांचे के निर्माण को लेकर जम्मू-कश्मीर प्रशासन और दुबई के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। समझौते के तहत दुबई कश्मीर में आईटी टावर, औद्योगिक पार्क, लॉजिस्टिक टावर के साथ ही मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बनाएगा। हालांकि अभी इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि दुबई कश्मीर में कितना निवेश करेगा। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कश्मीर के विकास के लिए दुनिया हमारे साथ आ रही है। यह समझौता दर्शाता है कि भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है।
पाकिस्तान के पूर्व राजदूत अब्दुल बासित ने दुबई और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के बीच हुए इस समझौते को पाकिस्तान की कूटनीतिक हार बताया है। बासित ने पाकिस्तान सरकार पर तंज कसते हुए कहा, 'यह समझौता भारत के लिए बड़ी कामयाबी है। पहले से ही OIC ने कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का खुलकर समर्थन नहीं किया है।
कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान लगातार ज्यादा से ज्यादा देशों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन तुर्की और चीन के अलावा अभी तक किसी भी देश ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ बयान नहीं दिया है। पाकिस्तान की लाख कोशिशों के बाद भी सऊदी अरब और ईरान ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर का कर्ज देने से इनकार कर दिया है। IMF ने यह भी साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को एक अरब डॉलर की पहली किस्त नहीं दी जाएगी। दरअसल, वाशिंगटन में आईएमएफ और पाकिस्तान के वित्त मंत्री के बीच चल रही बातचीत विफल हो गई है।
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने रविवार को जारी एक रिपोर्ट में बताया कि अमेरिकी वित्त मंत्री शौकत तारेक की टीम और आईएमएफ के बीच 11 दिन तक चली बातचीत अब तक बेनतीजा रही है। बैठक 4 अक्टूबर को शुरू हुई और 15 अक्टूबर तक चली।