Business

सिद्धार्थ ने ऑस्ट्रेलिया में नौकरी छोड़ भारत में शुरु किया जैविक खेती का कारोबार, अब सालाना 50 करोड़ हैं टर्नओवर

राजस्थान के पाली जिले के रहने वाले सिद्धार्थ संचेती ने एक पहल की है। पिछले 10 सालों में उन्होंने देशभर में 40 हजार किसानों का नेटवर्क बनाया है। वे किसानों के उत्पादों की मार्केटिंग करते हैं। भारत के साथ-साथ दुनिया के 25 देशों में उनके ग्राहक हैं। इससे वे हर साल 50 करोड़ का कारोबार कर रहे हैं।

Vineet Choudhary

डेस्क न्यूज़- अपने उत्पादों की मार्केटिंग करना किसानों के सामने सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है। खासकर कम पढ़े-लिखे किसानों को उतनी आमदनी नहीं हो पाती, जितनी पूरे उत्पादन के बाद होनी चाहिए। मार्केटिंग के अभाव में वे अपने उत्पादों को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। इसी समस्या को दूर करने के लिए राजस्थान के पाली जिले के रहने वाले सिद्धार्थ संचेती ने एक पहल की है। पिछले 10 सालों में उन्होंने देशभर में 40 हजार किसानों का नेटवर्क बनाया है। वे किसानों के उत्पादों की मार्केटिंग करते हैं। भारत के साथ-साथ दुनिया के 25 देशों में उनके ग्राहक हैं। इससे वे हर साल 50 करोड़ का कारोबार कर रहे हैं।

Photo | Dainik Bhaskar

नौकरी छोड़ शुरु किया जैविक खेती का काम

35 वर्षीय सिद्धार्थ ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पाली जिले में की। इसके बाद वह बेंगलुरु चले गए। वहां उन्होंने कंप्यूटर एप्लीकेशन से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने एक साल तक एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम किया। फिर नौकरी छोड़कर ऑस्ट्रेलिया चले गए। 2009 में मास्टर्स पूरा करने के बाद, उन्हें काम करने का प्रस्ताव मिला, लेकिन सिद्धार्थ भारत लौट आए। सिद्धार्थ का कहना है कि भारत आने के बाद मैंने तय किया कि नौकरी करने की बजाय मैं अपना कोई काम शुरू कर दूं, ताकि दूसरे लोगों को भी रोजगार मिल सके। काफी विचार-विमर्श के बाद उन्होंने जैविक खेती शुरू करने की योजना बनाई।

इससे पहले सिद्धार्थ का खेती से कोई सम्बंध नही था

सिद्धार्थ को पहले कृषि से कोई लगाव नहीं था। परिवार में खेती से कोई संबंध नहीं था। पिता खनन कार्य में लगे थे। इस लिहाज से यह उनके लिए बिल्कुल नया क्षेत्र था। सबसे पहले सिद्धार्थ ने जैविक खेती पर शोध किया। किसानों से मुलाकात की, खेती की प्रक्रिया को समझा। विभिन्न फसलों और उनके मार्केटिंग के बारे में जानकारी एकत्र की। सिद्धार्थ का कहना है कि तब बहुत कम लोग जैविक खेती के बारे में जानते थे। अधिकांश किसानों की इसमें रुचि भी नहीं थी। पारंपरिक खेती में कोई लाभ न मिलने के बावजूद वह इसे छोड़ना नहीं चाहते थे। उन्हें जैविक खेती में नुकसान का डर था। इसलिए जरूरी था कि उन्हें प्रेरित करने के साथ-साथ उन्हें प्रशिक्षित भी किया जाए। ताकि वे इसकी प्रक्रिया को समझ सकें।

3 लाख रुपए से शुरू किया कारोबार

सिद्धार्थ ने साल 2009 में पाली जिले से अपना कारोबार शुरू किया था। उन्होंने एग्रोनिक्स फ़ूड नामक एक कंपनी पंजीकृत की और स्थानीय किसानों के साथ मिलकर काम करना शुरू किया। शुरुआत में उनके पास करीब 3 लाख रुपये का खर्च आया। सिद्धार्थ का कहना है कि पैसों को लेकर उन्हें घर से सपोर्ट मिल रहा था, लेकिन उन्होंने बजट कम रखा। वे कम बजट के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहते थे। उसने खुद जमीन खरीदने के बजाय किसानों से हाथ मिलाया। कुछ किसानों को प्रशिक्षित किया, उन्हें संसाधन उपलब्ध कराए और मसालों की खेती शुरू की।

सिद्धार्थ को पहले तीन साल संघर्ष करना पड़ा। मार्केटिंग से लेकर प्रोडक्शन तक उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्हें जैविक खेती का सर्टिफिकेट मिला। इसके बाद उनके कारोबार की रफ्तार और तेज हो गई। वे किसानों से उत्पाद खरीद कर बाजार में भेजने लगे। इससे किसानों को भी अच्छा मुनाफा होने लगा और सिद्धार्थ का काम भी आगे बढ़ने लगा। एक के बाद एक किसान उनसे जुड़ते गए।

कैसे करते हैं काम?

सिद्धार्थ कहते हैं कि हम पहले किसानों को ट्रेनिंग देते हैं। उन्हें प्रक्रिया के बारे में बताते हैं। उन्हें मौसम और क्षेत्र के अनुसार फसलें लगाने की सलाह दी जाती है। अगर उनके पास संसाधन नहीं हैं, तो हम उन्हें वो भी उपलब्ध कराते हैं। किसान अपनी जमीन पर फसल उगाते हैं। जब फसल पक कर तैयार हो जाती है तो हम उनसे उनका उत्पाद खरीदते हैं। हम उन्हें बाजार दर से ज्यादा पैसा देते हैं।

40 हजार से ज्यादा किसान जुड़े हुए हैं

किसानों से उत्पाद एकत्र करने के बाद हम उसे अपनी यूनिट में लाते हैं। वर्तमान में हमारी गुजरात और राजस्थान में इकाइयां हैं। यहां उस उत्पाद की क्वालिटी टेस्टिंग, प्रोसेसिंग और पैकिंग का काम किया जाता है। इसके बाद इसकी मार्केटिंग की जाती है। फिलहाल सिद्धार्थ से 40 हजार से ज्यादा किसान जुड़े हुए हैं। ये किसान मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा समेत देश के कई राज्यों से ताल्लुक रखते हैं।

कैसे करते हैं मार्केटिंग?

सिद्धार्थ कहते हैं कि हमने शुरुआत लोकल मार्केट से की थी। उसके बाद हम अलग-अलग शहरों में जाने लगे। लोगों से मिलने लगे। हम विदेश भी गए और उन्हें अपने उत्पादों के नमूने दिखाए। उन्हें हमारा उत्पाद पसंद आया। इस तरह धीरे-धीरे हमारा दायरा बढ़ने लगा। उसके बाद हमने रिटेल मार्केटिंग भी शुरू की। वर्तमान में वे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से मार्केटिंग कर रहे हैं। वे सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स वेबसाइटों के माध्यम से अपने उत्पाद ग्राहकों को भेजते हैं। वर्तमान में हम दाल, तेल, मसाले, काले चावल, जड़ी-बूटी, औषधीय उत्पाद जैसी चीजों की आपूर्ति कर रहे हैं।

Diabetes से हो सकता है अंधापन, इस बात का रखें ख्याल

बीफ या एनिमल फैट का करते है सेवन, तो सकती है यह गंभीर बीमारियां

Jammu & Kashmir Assembly Elections 2024: कश्मीर में संपन्न हुआ मतदान, 59 प्रतिशत पड़े वोट

Vastu के अनुसार लगाएं शीशा, चमक जाएगी किस्मत

Tiger Parks: भारत के 8 फेमस पार्क,जहां आप कर सकते है टाइगर का दीदार