रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध पिछले 11 दिनों से लगातार जारी है। इन दोनों देशों का आपसी सैन्य टकराव पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस युद्ध का असर अब वैश्विक अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत पर भी दिख रहा है। बता दें कि, इन दोनों देशों के बीच आपसी सैन्य टकराव के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और ब्रेंट क्रूड की कीमतें जुलाई 2008 के बाद रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत में 11.67 डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। अब यह बढ़कर 129.78 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। वहीं, कच्चे तेल की कीमत 10.83 डॉलर बढ़कर 126.51 डॉलर प्रति बैरल हो गई है, जो मई 2020 के बाद से दैनिक आधार पर अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है और जुलाई 2008 के बाद से रिकॉर्ड ऊंचाई पर है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान द्वारा कच्चे तेल की आपूर्ति में व्यवधान और अमेरिका व पश्चिमी देशों द्वारा रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति पर प्रतिबंधों के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और ब्रेंट क्रूड की कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में रविवार शाम तक ब्रेंट क्रूड की कीमत 11.67 डॉलर बढ़कर 129.78 डॉलर प्रति बैरल हो गई, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चा तेल 10.83 डॉलर यानी 9.4 फीसदी बढ़कर 126.51 डॉलर प्रति बैरल हो गया है।
2008 की वैश्विक मंदी से पहले क्रूड रिकॉर्ड ऊंचाई पर था
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के कारण भारत में पेट्रोल और डीजल के साथ-साथ उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में भी बढ़ोतरी की संभावना है। हालांकि, पिछले साल दिवाली के समय से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को इन कीमतों में बढ़ोतरी पर रोक का मुख्य कारण माना जा रहा है। अब आशंका जताई जा रही है कि, विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां एक बार फिर कीमतों में बढ़ोतरी शुरू कर देंगी।
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) के प्रबंध निदेशक वीआर शर्मा ने कहा कि, रूस-यूक्रेन के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल महंगा हो गया है, जिसका असर कच्चे माल की कीमतों पर पड़ने लगा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा की कीमतों को नियंत्रित करने की जरूरत है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि कुछ तेल कंपनियां स्थिति का फायदा उठा रही हैं। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले कच्चे तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल थी और अब यह 120 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई है। उन्होंने आशंका जताई है कि कुछ दिनों में कच्चा तेल 180 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है।