देश की सबसे बीमा कंपनी LIC में अब आम लोगो की भागीदारी हो सकेगीं। गौरतलब है की हाल ही में कुछ समय पूर्व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात की घोषणा करी थी की देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी जिसपर फिलहाल तक में सरकार की 100% हिस्सेदारी थी, उसका कुछ हिस्सा सरकार निजी हाथो में यानी की आम लोगो को बेचेगी। सरकार के इस बयान के बाद से ही राजनीतिक से लेकर आर्थिक गलियारों तक काफी हलचल पैदा हो गई थी। एक ओर जहाँ LIC पर उसके कर्मचारियों समेत कई लोगो ने उसके निजीकरण करने को लेकर सरकार का पहला कदम बताया तो वहीँ इसमें हिस्सेदारी लेने को लेकर आम लोगो में भी काफी उत्साह बढ़ गया।
देश में बीमा कम्पनियो की बात करे तो इसका इतिहास काफी पुराना है। साल 1818 में ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस नाम की इन्शुरन्स कंपनी देश में बीमा उपलब्ध करवाने वाली पहली कंपनी बनी। इसके काफी साल बाद सन1870 में पहली बार भारतीय कंपनियों ने भी जीवन बीमा के क्षेत्र में अपन कदम रखा, बीमा कम्पनियो का चलन मुख्यतः इसी के बाद बढ़ा।
कई बीमा कम्पनियो को मिलाकर बनी LIC
आज़ादी के समय तक देश में सैकड़ो बीमा कम्पनी बाजार में उपलब्ध थी। साल 1956 में तब की नेहरू सरकार ने इन सभी कंपनियों को एक साथ मिलाते हुए LIC की नींव रखी। तब से लेकर अब तक LIC सरकार के लिए कई मौकों पर भामाशाह का किरदार निभा चुकी है और अपने खजाने के जरिये सरकार की साख बनाये रखने में मदद की है।
चूँकि LIC एक सरकारी कंपनी थी इसी वजह से लोगो के पास इस पर विश्वास करने का एक काफी मजबूत कारण था और यही वजह भी रही की LIC के गठन के एक साल में ही इसने सरकार को 200 करोड़ का बिज़नेस करके दिया था। कह सकते है की यूनिकॉर्न बनने की शुरुआत देश में LIC ने ही की थी।
कमर्चारी क्यों कर रहे विरोध?
LIC में आम लोग की हिस्सेदारी की घोषणा के बाद से ही LIC के कर्मचारी इसका प्रमुख रूप से विरोध कर रहे है। कर्मचारियों का ऐसा मन्ना है की ऐसा करने से बीमाधारकों का LIC को लेकर बना विश्वास कम हो सकता है। इसके अलावा दूसरी वजह ये भी है की उन्हें आशंका है की संभवतः निकट भविष्य में इस फैसले से उनके नौकरी पर भी संकट आ जाए। हालाँकि इसका दूसरा पहलु ये भी है की शेयर बाजार में कंपनी के लिस्ट होने से उसके काम में और अधिक पारदर्शिता आएगी। हॉलांकि, चूँकि कंपनी बहुत बड़ी है और उसका इतिहास उससे भी ज्यादा बड़ा है तो सरकार द्वारा लिए गए इतने बड़े फैसले पर मिली जुली प्रतिक्रिया आना तो स्वाभाविक था।
केंद्र क्यों अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहता है
केंद्र LIC के करीब 3.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी आम लोगो के बीच में दे रही है। उसे उम्मीद है की LIC के IPO जारी करने से उसे करीब 21000 करोड़ रुपये मिलेंगे। तमाम तरह की लोक लुभावनी और कल्याणकारी योजनाओं के चलते जाहिर तौर पर सरकारी खजाने पर भी काफी दबाव पड़ता है सो सरकार इसके जरिये सरकारी खजाने को फिर से भरने की उम्मीद रखती है।
LIC के IPO के लिए लोगो में जमकर उत्साह
आज जैसे ही LIC ने अपना IPO जारी किया तो लोगो में इसको लेकर ख़ासा उत्साह देखने को मिला। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इसके IPO जारी होने के घंटे भर के भीतर ही इसके करीब 2 करोड़ के शेयर पर बोली लगाईं जा चुकी थी। दिन के अंत आते आते कंपनी के 16 करोड़ शेयर में से करीब 10 करोड़ शेयर पर बोली लगाईं भी जा चुकी है। गौरतलब है की कंपनी के IPO पर 9 तारिख तक बोली लगाई जा सकती है। इसके लिए इच्छुक लोगो को पहले एक डीमैट अकाउंट खुलवाना अनिवार्य होगा।
इन्वेस्ट करे या नहीं
तमाम अटकलों के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है की क्या LIC के IPO में आपको इन्वेस्ट करना चाहिए या नहीं। इससे पहले paytm के IPO को लेकर भी काफी हाइप बना था हालाँकि बाद में निवेशकों के हाथ निराशा लगी थी। हालाँकि LIC को लेकर माहौल अलग है और एक्सपर्ट्स का मानना है की LIC के IPO में निवेश करना चाहिए और लॉन्ग टर्म निवेश में पैसा लगाना चाहिए क्यूंकि बीमा कंपनियों का मॉडल भी लॉन्ग टर्म होता है।