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PM Cares में 2.5 लाख रुपये किये थे दान; बेड नहीं मिलने पर हुई माँ की मौत, बेटे ने फिर कहदी इतनी बड़ी बात.. . .

Dharmendra Choudhary

डेस्क न्यूज़: कोरोना वायरस की इस भयावह महामारी हमारे देश भर में सैकड़ों लोगों की जान ले ली है। गुजरात का अहमदाबाद भी कोरोना मामलों में देश के शीर्ष शहरों में से एक है। अप्रैल से मई के मध्य तक यहां के हालात ऐसे थे कि मानों हर तरफ संक्रमितों और मौतों की आंधी चल रही हो। लोगों को अस्पतालों में बेड नहीं मिलने से कई लोगों की जान चली गई। ऐसा ही एक व्यक्ति अपनी मां के साथ एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल घूमता रहा, लेकिन उसकी मां को कहीं भी बिस्तर नहीं मिला। उसका दर्द और गुस्सा सोशल मीडिया पर छा गया। महामारी के दौरान उसने 2.5 लाख रुपये पीएम केयर फंड में दान किए, लेकिन उनकी मां की बिना इलाज के मौत हो गई।

अहमदाबाद के रहने वाले विजय पारिख ने अपने ट्विटर अकाउंट से मां के निधन से दुखी होकर एक पोस्ट किया। पोस्ट में उन्होंने लिखा कि ढाई लाख रुपये का दान मेरी मरती हुई मां के लिए बिस्तर सुनिश्चित नहीं कर सका। मुझे और कितना दान करना होगा।

विजय ने किया यह ट्वीट

विजय पारिख ने ट्वीट किया, '2.51 लाख रुपये का दान भी मेरी मरती हुई मां के लिए बेड नहीं दिला सका। कृपया सलाह दें कि मुझे तीसरी लहर के लिए बेड रिजर्व करने के लिए और कितना दान करना चाहिए? ताकि मैं और सदस्यों को न खोऊं।'

दान की रसीद भी की पोस्ट

जुलाई 2020 में, पारिख ने देश में पहली COVID लहर के बाद PM Cares में 2.51 लाख रुपये का दान दिया। उन्होंने इस डोनेशन का स्क्रीनशॉट भी अपनी पोस्ट के साथ अटैच किया है। उनका ट्वीट वायरल हो गया है और इसे 33 हजार से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं। इसे 13 हजार से ज्यादा लोगों ने रीट्वीट किया और एक हजार से ज्यादा लोगों ने कमेंट किया है।

यूजर्स ने किए ये कॉमेंट

अहमदाबाद निवासी विजय ने इस ट्वीट में पीएमओ, राजनाथ सिंह, आरएसएस और स्मृति ईरानी को भी टैग किया है। उनके इस ट्वीट पर लोगों ने तरह-तरह के कमेंट किए। एक अन्य यूजर ने कहा कि दान स्वैच्छिक और पूरी मानवता के लिए एक निस्वार्थ कार्य है, इसे आपके योगदान में आपके दर्द या लाभ को जोड़कर देखा जा सकता है।

'दान दे सकता हूं अपनी सारी सेविंग्स'

पारिख यूजर को जवाब देते हैं कि बधिर अधिकारियों से सवाल करने का यही एकमात्र तरीका है। समाज को अपना कर्तव्य समझकर कभी कोई योगदान नहीं दिया। लेकिन जब हम अपने मूल अधिकारों से वंचित हो जाते हैं तो हमें सभी उपलब्ध साधनों को अपनाने की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, 'पैसे की कोई बात नहीं है। मैं अपनी सारी बचत दान कर सकता हूं अगर कोई यह आश्वासन दे कि अब मेरे जैसा कोई भी पीड़ित नहीं होगा। '

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