डेस्क न्यूज़: योगगुरु बाबा रामदेव और इंडियम मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के बीच चल रहा विवाद बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में उत्तराखंड के निजी और सरकारी डॉक्टर 1 जून को बाबा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर काला दिवस (Black Day) मना रहे हैं। इस दौरान वह काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। इस आंदोलन में सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के छात्र भी शामिल होंगे। इधर, प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संघ ने स्वास्थ्य कर्मियों से अपील की है कि वे पतंजलि के सभी उत्पादों का बहिष्कार करें और अपने रिश्तेदारों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें। इसके अलावा झारखंड और गुजरात में भी डॉक्टर बाबा के खिलाफ एकजुट होने लगे हैं।
आपको बता दें कि IMA की उत्तराखंड शाखा बाबा रामदेव के खिलाफ पहले ही एक हजार करोड़ का मानहानि नोटिस भेज चुकी है। वहीं प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बाबा के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की जा रही है। वहीं, अब रेजिडेंट डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन इंडिया (FORDA) ने 1 जून (आज) को काला दिवस (Black Day) घोषित किया है।
विभिन्न चिकित्सा संघों ने रामदेव की कथित "असंवेदनशील और अपमानजनक" टिप्पणी के लिए "बिना शर्त खुली सार्वजनिक माफी" की मांग की है। रामदेव ने कथित तौर पर कहा था कि लोगों की मौत कोरोना संक्रमण से ज्यादा आधुनिक दवा के कारण हुई है।
रामदेव द्वारा कोरोना वायरस संक्रमितों के इलाज में इस्तेमाल की जा रही कुछ दवाओं पर सवाल उठाने के बाद विवाद खड़ा हो गया था। रामदेव ने कहा था, "कोविड-19 के इलाज में एलोपैथी दवाओं के इस्तेमाल से लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। रामदेव की टिप्पणी का कड़ा विरोध किया गया, जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उनसे "बहुत दुर्भाग्यपूर्ण" बयान वापस लेने को कहा।
रविवार को रामदेव को अपना बयान वापस लेना पड़ा। अगले दिन उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को एक खुला पत्र लिखकर 25 प्रश्न पूछे। उन्होंने पूछा कि क्या एलोपैथी से बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है।