डेस्क न्यूज़- कोरोना की दूसरी लहर के कारण भारत में एक करोड़ से अधिक भारतीयों की नौकरी चली गई, जबकि 97 प्रतिशत से अधिक परिवारों की आय में गिरावट आई है। यह बात निजी थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के सीईओ महेश व्यास ने कही है। उनका कहना है कि मई के अंत तक देश की बेरोजगारी दर 12 फीसदी तक आ सकती है। साल 2020 में देशव्यापी लॉकडाउन के चलते मई में बेरोजगारी दर रिकॉर्ड 23.5 फीसदी पर पहुंच गई। कई जानकारों का कहना है कि संक्रमण की दूसरी लहर का चरम जा चुका है। अब राज्य धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों पर से प्रतिबंध हटाएंगे। इससे अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी।
कोरोना की वजह से जिन लोगों की नौकरी चली गई
है, उन्हें शायद ही दोबारा रोजगार मिले। वहीं
असंगठित क्षेत्र में जल्द ही नौकरियां मिलने लगेंगी,
लेकिन संगठित क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण रोजगार और
रोजगार के अवसर पैदा होने में एक साल तक का समय लगेगा। अब अर्थव्यवस्था खुल रही है।
इससे बेरोजगारी की समस्या कुछ हद तक तो हल हो जाएगी,
लेकिन यह समस्या पूरी तरह खत्म नहीं होगी। वर्तमान में, बाजार में श्रम भागीदारी दर घटकर 40% हो गई है।
महामारी से पहले यह दर 42.5% थी।
व्यास ने कहा कि 3-4% की बेरोजगारी दर हमारी अर्थव्यवस्था के लिए सामान्य है। बेरोजगारी दर में और कमी आएगी। सीएमआईई ने अप्रैल में 1.75 लाख परिवारों पर एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया था। सर्वेक्षण में पिछले एक साल में कमाई का एक परेशान करने वाला रुझान सामने आया। केवल 3% परिवारों ने कहा था कि उनकी आय बढ़ेगी, जबकि 55% ने कहा कि उनकी आय गिर गई है। शेष 42% ने कहा कि उनकी आय में कोई बदलाव नहीं हुआ है। अगर इसने महंगाई के मामले में 97% परिवारों की कमाई कम कर दी है।