वैक्सीन की खुराक के बाद भी कोरोना हो सकता है, लेकिन यह घातक नहीं होगा। मेरठ में टीका लगने के बाद संक्रमित 150 मरीजों पर स्वास्थ्य विभाग का यह अध्ययन है।
इनमें से केवल पाँच लोगों को ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ी और केवल एक व्यक्ति की मृत्यु हुई। वह भी उनकी कोरोना के अलावा कई अन्य बीमारियों से भी पीड़ित थे। इनमें से 125 मरीज घर पर स्वस्थ हो गए। 25 मरीज अस्पताल पहुंचे। वहीं इन मरीजों में से किसी ने भी संपर्क में आने वाले को संक्रमित नहीं किया।
इस बार संक्रमण से फेफड़े को बहुत जल्दी नुकसान हो रहा है।
इसके कारण फेफड़ों में ऑक्सीजन नहीं जा पाती है। ऐसे में उन्हें
ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की जरूरत होती है। ऐसे मरीजों की संख्या
अधिक होने के कारण अस्पतालों में कहीं भी बेड उपलब्ध नहीं हैं
और उनका इलाज नहीं हो पा रहा है। ऐसे में वैक्सीन उम्मीद की किरण है।
दरअसल, विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन फेफड़ों के संक्रमण को अधिक गंभीर नहीं होने देता है। यह हमें संक्रमण से बचा रहा है और कोरोना वायरस से लड़ने में हमारी मदद कर रहा है। इसकी मदद से मरीज़ गंभीर रूप से बीमार नहीं होते हैं। यह बचाव के लिए है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. प्रवीण गौतम ने बताया कि शरीर में एंटीबॉडीज होंगे तो जान बच जाएगी। वायरस यदि नाक और मुंह से शरीर में जाता है तो उसे वैक्सीन नहीं रोक सकती, उसके लिए मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत होती है। यदि संक्रमण होता है, तो टीका इसे खतरनाक स्थिति तक पहुंचने से रोक सकता है। अध्ययन में अब तक यही बात सामने आई है।
निगरानी अधिकारी डॅा अशोक तलियान ने कहा कि वैक्सीन से लोगों की जान बचाने में सफलता मिल रही है। इससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। वैक्सीन की दो खुराक लेने से कोरोना वायरस का प्रभाव सीमित हो जाता है और खतरे का खतरा कम हो जाता है। टीका फेफड़ों की रक्षा करता है, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।