corona india

क्या होता है Jet Injector ? कैसे बिना सूई लगाए लग जाएगी जायकोव-डी की वैक्सीन ?

Dharmendra Choudhary

डेस्क न्यूज़: इस सप्ताह देश में 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए Zydus Cadila की सुई-मुक्त कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी जा सकती है। अहमदाबाद में स्थित दवा कंपनी Zydus Cadila ने ZyCoV-D के लिए अनुमति मांगी थी। ऐसे में चर्चा हो रही है कि जब सुई ही नहीं चुभेगी और पोलियो की दवा की तरह मुंह में नहीं दी जाएगी तो शरीर में कैसे जाएगी।

फार्माजेट से हुई है जायडस कैडिला की डील

दरअसल, इसके लिए जेट इंजेक्टर का इस्तेमाल किया जाता है। ये इंजेक्टर स्प्रिंग, कंप्रेस्ड गैस या इलेक्ट्रिक करंट पर काम करते हैं।

अमेरिका के कोलोराडो राज्य, जो इंजेक्टर बनाता है, ने जाइडस कैडिला (Zydus Cadila) के साथ एक समझौता किया है।

उनका कहना है कि उनका इंजेक्टर एक स्प्रिंग पर काम करता है जो एक सेकंड की 10वें हिस्से में वैक्सीन को त्वचा में इंजेक्ट करता है।

यह अजीब लग सकता है, लेकिन जेट इंजेक्शन की तकनीक महात्मा गांधी के जन्म से पहले आ चुकी थी।

150 साल पहले आ गई थी जेट इंजेक्टर की तकनीक

फ्रांसीसी खोजकर्ता गैलांटे ने दिसंबर 1866 में पेरिस विश्वविद्यालय में हाइड्रोपंक्चर के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक छोटा उपकरण प्रस्तुत किया।

उन्होंने दिखाया कि कैसे तरल की एक धार बहुत तेज गति से त्वचा पर फेंकी जाती है, वह अंदर चली जाती है। इस तकनीक के आने से 20 साल पहले सुई का आविष्कार किया गया था। तब सुई आज के मुकाबले मोटी होती थी, इसलिए दर्द ज्यादा होता था।

इससे गैलांटे के जेट इंजेक्टर को मान्यता मिली और 1950 के दशक तक इसका बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियानों के लिए उपयोग किया जाने लगा।

कब उफान पर आया इंजेक्टर, क्यों चलन से हटा

यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) का कहना है कि चेचक और अन्य बीमारियों को खत्म करने में जेट इंजेक्टरों ने प्रमुख भूमिका निभाई।

वहां जवानों को जेट इंजेक्टर के जरिए भी टीका लगाया जा रहा था।

1966 में, 19 साल की उम्र में, एक सैनिक जिसे जेट इंजेक्टर से टीका लगाया गया था, ने अमेरिकी अखबार द वाशिंगटन पोस्ट को बताया कि सैनिकों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला जेट इंजेक्टर थोड़ा खतरनाक था।

उसमें से तरल पदार्थ इतनी तेजी से बहता था कि कभी-कभी वह त्वचा को फाड़ देता था और खून बाहर निकलकर इंजेक्टर से टकरा जाता था।

चूंकि इंजेक्टरों का इस्तेमाल दूसरों को बिना सफाई के टीके पहुंचाने के लिए किया जाता था, संक्रामक रोग एक से दूसरे में फैलते थे। उन्होंने बताया कि 1980 में एक वजन घटाने वाले क्लिनिक में संक्रमित जेट इंजेक्टर के इस्तेमाल से कई लोगों को हेपेटाइटिस बी हो गया था। उसके बाद जेट इंजेक्टर को काफी प्रसिद्धि मिली और इसके इस्तेमाल में गिरावट आई।

क्या जेट इंजेक्टर अब भी खतरनाक हो सकता है ?

तो क्या यह खतरा अभी भी जेट इंजेक्टरों के साथ बना रहेगा? दरअसल, टेक्नोलॉजी के जमाने में अब जेट इंजेक्टर भी एडवांस हो गए हैं। जेट इंजेक्टर जिसमें से Zyduskov-D खुराक को प्रशासित किया जाएगा, केवल एक बार उपयोग के लिए है, जैसा कि एक प्लास्टिक सिरिंज है। फार्माजेट के इंजेक्टर में एक सीरिंज भी लगी होगी, लेकिन सुई के बिना। जैसे ही किसी व्यक्ति को वैक्सीन की खुराक दी जाती है, इंजेक्टर में यह सीरिंज बेकार हो जाएगी ताकि इसे दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सके। यानी संक्रमण फैलने का खतरा खत्म हो जाता है।

अमेरिका, पाकिस्तान में हो चुका इस्तेमाल, अब ऑस्ट्रेलिया, भारत की बारी

अमेरिका में 18 से 64 वर्ष की आयु के लोगों को फ्लू के टीके लगाने के लिए जेट इंजेक्टर का उपयोग किया गया था। पाकिस्तान भी इसका इस्तेमाल बच्चों को पोलियो का टीका लगाने में कर रहा है। कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड बनाने वाली पुणे स्थित कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने भी खसरे के टीके के लिए 2017 में फार्माजेट के साथ एक समझौता किया था। अगर कोरोना वैक्सीन की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया के कोविजेन वैक्सीन का पहले चरण का ट्रायल जून में शुरू हुआ था। इसकी खुराक भी Pharmajet के इंजेक्टर के जरिए दी गई थी।

Like and Follow us on :

लाल बाग के राजा पर अनंत अंबानी ने चढ़ाया 20 किलों सोने का मुकुट

लहसुन सब्जी या मसाला?, कोर्ट ने दिया जवाब

Uric acid: यूरिक एसिड की समस्या से है परेशान तो इन सब्जियों को खाने में जरूर करें शामिल

Sapna Choudhary के बायोपिक का टीजर आया सामने

Rishi Kapoor के बर्थडे पर रिद्धिमा ने किया स्पेशल पोस्ट