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टीएमसी के एक और प्रत्याशी कि कोरोना से मौत, पत्नी बोली- मेरे पति को चुनाव आयोग ने मार डाला

कोरोना वायरस के बढ़ते कहर के बावजूद, पश्चिम बंगाल में गुरुवार को आठवें चरण का मतदान जारी है। इस बीच, कोविड से तृणमूल कांग्रेस के एक उम्मीदवार की मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी ने चुनाव आयोग के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। आपको बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से 25 अप्रैल को खारदाह से टीएमसी उम्मीदवार काजल सिन्हा की मौत हो गई

Manish meena

कोरोना वायरस के बढ़ते कहर के बावजूद, पश्चिम बंगाल में गुरुवार को आठवें चरण का मतदान जारी है। इस बीच, कोविड से तृणमूल कांग्रेस के एक उम्मीदवार की मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी ने चुनाव आयोग के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। आपको बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से 25 अप्रैल को खारदाह से टीएमसी उम्मीदवार काजल सिन्हा की मौत हो गई।

चुनाव आयोग पर लगाया हत्या का आरोप

पति की मौत पर गुस्सा जाहिर करते हुए उनकी पत्नी नंदिता सिन्हा ने चुनाव

आयोग पर हत्या का आरोप लगाया है। नंदिता सिन्हा ने उपचुनाव आयुक्त

सुदीप जैन समेत कई अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही और अनदेखी का

आरोप लगाया है, जिसकी वजह से उनके पति समेत कई दूसरे उम्मीदवारों की मौत हुई है।

नंदिता सिन्हा ने पुलिस शिकायत में लिखा है कि जब पूरा देश कोरोना वायरस के नए तनाव से लड़ रहा था, चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में चुनाव कराने का फैसला किया, जो 27 मार्च से 29 अप्रैल तक चला। नंदिता सिन्हा ने आगे लिखा तमिलनाडु, केरल, पुदुचेरी में एक दिन में मतदान समाप्त कर दिया गया और असम में यह तीन चरणों में हुआ।

टीएमसी ने चुनाव आयोग को दो बार सिफारिश की

शिकायत में नंदिता सिन्हा ने लिखा कि तृणमूल कांग्रेस ने 16 अप्रैल और 20 अप्रैल को आयोग से दो बार सिफारिश की थी कि शेष चरणों को एक साथ निपटाया जाए। लेकिन आयोग ने सुनवाई नहीं की और बचाव का आदेश दिया कि शाम सात बजे के बाद कोई रैली नहीं होगी।

नंदिता सिन्हा ने लिखा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा दी गई चेतावनी के बावजूद, चुनावआयोग ने सभी सबूतों को नजरअंदाज कर दिया, जिसके कारण राज्य में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बिगड़ गए। बता दें कि नंदिता सिन्हा ने यह कदम मद्रास हाईकोर्ट की कठोर टिप्पणी के दो दिन बाद उठाया है।

चुनाव आयोग ने बयान जारी कर रखी अपनी बात

सोमवार (26 अप्रैल) को, मद्रास उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा था कि चुनावआयोग के अधिकारियों की लापरवाही और उपेक्षा के कारण मामले इतने बढ़ गए थे। क्या उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। एक बयान में चुनाव आयोग ने कहा कि कोरोना के लिए प्रबंध करना राज्य सरकारी की जिम्मेदारी है, ना कि चुनाव आयोग की।

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