corona vaccine

कोवीशील्ड वैक्सीन लगवाने के बाद भी एंटीबॉडी डेवलप नहीं हुई, SII, ICMR और WHO पर FIR की मांग

Manish meena

कोवीशील्ड वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और उसे मंजूरी देने वाली ICMR और WHO पर लखनऊ के एक व्यापारी ने FIR दर्ज कराने के लिए एप्लीकेशन दी है। टूर एंड ट्रैवल का बिजनेस करने वाले प्रताप चंद्र का आरोप है कि कोवीशील्ड की पहली डोज लगवाने के बाद भी उनके शरीर में एंटीबॉडी डेवलप नहीं हुई। यह लोगों के साथ धोखा है, इसलिए इसे तैयार करने वाली कंपनी और उसे मंजूरी देने वाली संस्थानों के जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

कोवीशील्ड वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और उसे मंजूरी देने वाली ICMR और WHO पर लखनऊ के एक व्यापारी ने FIR दर्ज कराने के लिए एप्लीकेशन दी है

प्रताप ने इसके खिलाफ SII के CEO अदार पूनावाला, ICMR के डायरेक्टर

बलराम भार्गव, WHO के DG डॉ. टेड्रोस एधोनम गेब्रेसस, स्वास्थ्य मंत्रालय

के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की डायरेक्टर

अपर्णा उपाध्याय के खिलाफ लखनऊ के आशियाना थाने में एप्लीकेशन दी है।

इंस्पेक्टर पुरुषोत्तम गुप्ता ने कहा कि मामले की जांच के लिए

स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क किया गया है। शासन स्तर पर इसकी जांच होगी।

क्या है शिकायत?

ICMR और WHO ने साफ कहा था कि वैक्सीन की पहली डोज लगवाने के बाद से ही एंटीबॉडी तैयार होने लगेगी, लेकिन मुझमें नहीं बनी।

SII ने इस वैक्सीन को बनाया। ICMR, WHO और स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे मंजूरी दी।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने इसका प्रचार किया। इसलिए ये लोग भी दोषी हैं।

मैं शुद्ध शाकाहारी हूं। इसके बावजूद मुझे RNA बेस्ड इंजेक्शन लगा है।

RNA बेस्ड इंजेक्शन में मां के गर्भ से जो बच्चा पैदा नहीं होता है उसकी किडनी की 293 सेल्स डाली गई है।

ये सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वेबसाइट में खुद लिखा है। ये पूरी दुनिया में बैन है, लेकिन हमारे यहां चल रहा है।

मेरे साथ धोखा हुआ है। मेरी जान जा सकती थी। इसलिए मैंने हत्या के प्रयास और धोखाधड़ी की धारा लगवाने के लिए एप्लीकेशन दी है।

वैक्सीन लगवाने के बाद एंटीबॉडी बनी नहीं, प्लेटलेट्स घट गए

प्रताप चंद का कहना है कि कोवीशील्ड वैक्सीन लगवाने के बाद उनका स्वास्थ्य खराब हो गया

प्रताप चंद का कहना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। मेरा प्लेटलेट्स घट गया। 21 मई को मैंने ICMR और स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस को देखा। इसमें ICMR के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने साफ कहा था कि कोवीशील्ड की पहली डोज लेने के बाद से ही शरीर में अच्छी एंटीबॉडी तैयार हो जाती है, जबकि कोवैक्सिन की दोनों डोज के बाद एंटीबॉडी बनती है। ये देखने के बाद 25 मई को सरकारी लैब में उन्होंने एंटीबॉडी GT टेस्ट कराया। इसमें मालूम चला कि उनमें अभी तक एंटीबॉडी नहीं बनी है। प्लेटलेट्स भी घटकर तीन लाख से डेढ़ लाख तक पहुंच गई थी। ये मेरे साथ धोखा है। मेरी जान के साथ खिलवाड़ किया गया है।

प्रताप ने कहा, 'मैं अकेला नहीं हूं जिसमें एंटीबॉडी डेवलप नहीं हुई है, FIR नहीं हुई तो कोर्ट भी जाएंगे

प्रताप ने कहा, 'मैं अकेला नहीं हूं जिसमें एंटीबॉडी डेवलप नहीं हुई है। मेरे जैसे कई और लोग भी हैं। इसलिए मैं 6 तारीख को कोर्ट खुलने पर याचिका दायर करूंगा। ये सरकार का काम है कि वह पता करें कि मेरे और मेरे जैसे बहुत से लोगों के साथ क्या हो रहा है? क्यों नहीं मेरे अंदर एंटीबॉडी डेवलप हुई। क्या मुझे जो इंजेक्शन दिया गया था उसमें पानी भरा था?'

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