भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनियों में से एक Zydus Cadila अगले सप्ताह अपनी कोरोना वैक्सीन Zykov-D के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए सेंट्रल ड्रग्स रेगुलेटर के पास आवेदन कर सकती है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अगर इस वैक्सीन को मंजूरी मिल जाती है तो यह कोरोना वायरस के
खिलाफ दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन होगी। इससे देश में
उपलब्ध टीकों की संख्या बढ़कर 4 हो जाएगी। अब तक भारत में
सीरम इंस्टीट्यूट के कोवेशील्ड, भारत बायोटेक के कोवैक्सिन और
रूस के स्पुतनिक वी का इस्तेमाल हो रहा है।
टीके के परीक्षण के तीसरे चरण का डेटा विश्लेषण लगभग तैयार है। कंपनी ने सरकार को सूचित किया है कि वह अगले सप्ताह वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकती है। वयस्कों के अलावा 12 से 18 साल के बच्चों पर भी इस टीके का परीक्षण किया जा रहा है। सूत्र ने कहा कि अगर अहमदाबाद की यह कंपनी अगले हफ्ते लाइसेंस के लिए आती है, तो उम्मीद है कि हमारे पास यह देखने के लिए पर्याप्त डेटा होगा कि क्या यह टीका बच्चों को भी दिया जा सकता है।
डीएनए-प्लाज्मिड आधारित ZycoV-D तीन खुराक वाला टीका होगा। इसे 2 से 4 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है। इसके लिए कोल्ड चेन की जरूरत नहीं है। इससे देश के दूरदराज के इलाकों में इसका परिवहन आसान हो जाता है। नेशनल बायोफार्मा मिशन ने इस वैक्सीन को विकसित करने में मदद की है।
जब प्लाज्मिड डीएनए मानव शरीर में प्रवेश करता है, तो यह एक वायरल प्रोटीन बन जाता है। यह शरीर को वायरस के वास्तविक हमले की तरह महसूस कराता है। इससे शरीर में वायरस के प्रति एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित होती है। यह वायरस को बढ़ने से रोकता है। यदि कोई वायरस अपना आकार बदलता है, यानी उसमें उत्परिवर्तन होता है, तो इस टीके को कुछ ही हफ्तों में बदला जा सकता है।