न्यूज़- अमेरिका की सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (सीआईए) का मानना है कि चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) को जनवरी में कोरोना वायरस महामारी के बारे में अलर्ट जारी करने से रोकने की कोशिश की थी। इसी समय चीन ने दुनियाभर की मेडिकल सप्लाई को भी इकट्ठा करने में लगा हुआ था। सीआईए की एक रिपोर्ट के बारे में अमेरिका के दो इंटेलीजेंस अधिकारियों ने न्यूजवीक को पुष्टि की है।
अमेरिकी इंटेलीजेंस अधिकारियों का मानना है कि चीन ने डब्लूएचओ को धमकाया था कि अगर संगठन ने कोरोना वायरस को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया तो फिर वह जांच में बिल्कुल भी सहयोग नहीं करेगा। इंटेलीजेंस सर्विस की यह ऐसी दूसरी रिपोर्ट है। माना जा रहा है कि अब इस रिपोर्ट के बाद अमेरिका और चीन के बीच तनाव और बढ़ सकता है। कोरोना वायरस की वजह से अब तक दुनियाभर में ढाई लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और 80,000 लोग अकेले अमेरिका में मारे गए हैं। इससे पहले जर्मनी की इंटेलीजेंस एजेंसी की तरफ से इसी तरह की एक रिपोर्ट पिछले हफ्ते आई थी। डेर स्पाइगेल की तरफ से आई इस रिपोर्ट में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने डब्लूएचओ के मुखिया टेडरॉस एडहानोम गेब्रेसियस पर व्यक्तिगत तौर पर दबाव डाला था।
जिनपिंग और टेडरॉस की मुलाकात 21 जनवरी को हुई थी। हालांकि संगठन ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है कि जिनपिंग ने किसी तरह से हस्तक्षेप किया था। लेकिन उसने इस एक सवाल का जवाब देने से भी इनकार कर दिया कि क्या चीन के अधिकारियों ने कोविड-19 को देर से महामारी घोषित करने के प्रयास किए थ। वहीं न्यूजवीक के साथ बातचीत में भी अमेरिकी इंटेलीजेंस अधिकारियों ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया कि क्या वाकई जिनपिंग ने एजेंसी पर कोई दबाव डाला था। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस बात को कह चुके हैं कि चीन ने जनवरी में ही मेडिकल सप्लाई इकट्ठा करनी शुरू कर दी थी और उसने दुनिया से सच छिपाने की कोशिश की।