क्या एक कलेक्टर के पास इतनी पावर होती है की वह थप्पड़ मारदे,इन सभी सवालों के जवाब हम आपको दे उससे पहले जानते है इस पूरे घटना कर्म के बारे में.. छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में युवक को पुलिस से पिटवाने वाले कलेक्टर रणबीर शर्मा की हरकत की आईएएस एसोसिएशन ने कड़ी निंदा की है। कलेक्टर के रवैये पर गहरी नाराजगी जताते हुए आईएएस एसोसिएशन ने हरकत को अस्वीकार्य और सेवा के सिद्धांतों के खिलाफ बताया है। वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर कलेक्टर के खिलाफ आम जन से लेकर प्रमुख व्यक्तियों ने भड़ास निकाली। जिसके बाद कलेक्टर ने एक वीडियो जारी कर घटना को लेकर माफी भी मांगी है।
हालांकि, उनके खिलाफ निलंबन जैसी सख्त कार्रवाई के लिए लोग भूपेश बघेल सरकार से मांग कर रहे हैं। दरअसल, शनिवार को एक युवक सड़क पर निकला था। उस दौरान लॉकडाउन का पालन कराने के लिए गुजर रहे collector रणबीर शर्मा ने युवक को रोककर कुछ पूछताछ की।
इसके बाद उसे थप्पड़ रसीद कर पुलिस से पिटवाया। वीडियो बनाने की आशंका पर कलेक्टर ने मोबाइल भी सड़क पर फेंककर तोड़ दिया। इस घटना का किसी ने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। जिसके बाद कलेक्टर के इस तानाशाही भरे रवैये की निंदा होने लगी।
लोगों ने आईएएस एसोसिएशन को टैग कर ट्वीट भी करना शुरू कर दिया। जिसके बाद रविवार को आईएएस एसोसिएशन ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, " आईएएस एसोसिएशन, कलेक्टर सूरजपुर, छत्तीसगढ़ के व्यवहार की कड़ी निंदा करता है। यह अस्वीकार्य है और सेवा और सभ्यता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। सिविल सेवकों को सहानुभूति रखनी चाहिए और इस कठिन समय में संवेदना से पेश आना चाहिए।"
हम बता दें कि collector को अपने पद के नियमों के अनुसार काम करने का पूरा अधिकार प्राप्त है, लेकिन किसी व्यक्ति को इस तरह सरेराह थप्पड़ मारने का अधिकार उसे नहीं दिया जाता, क्योंकि जिस तरह सूरजपुर जिले के कलेक्टर रणवीर शर्मा ने युवक को थप्पड़ मारा है, उसका मोबाइल तोड़ा है, ये कहीं से भी लॉ फुल एक्टिविटी नहीं मानी जाती है.
आपको बता दें कि सीआरपीसी की सेक्शन 197 कलेक्टर (लोकसेवकों) को यह अधिकार देती है कि उनके खिलाफ किसी भी एफआईआर करने से पहले सरकार की मंजूरी ली जाए. हालांकि ये कानून तब लागू जब वह कलेक्टर अपने कर्तव्य का सही पालन करें, लेकिन यहां जिस तरीके से कलेक्टर रणवीर शर्मा और साथ में एसडीएम ने सरेराह थप्पड मारे है ये कही से भी उनके पद का कर्तव्य नहीं है. इसके लिए आईपीएस का सेक्शन 323 और 341 के तहत कार्रवाई हो सकती है.