न्यूज़- ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की हेल्पलाइन पर एक फोन कॉल ने एक शिक्षक को 1,000 किमी दूर अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने का मौका दिया। दरअसल, जम्मू के एक केंद्रीय विद्यालय में तैनात एक शिक्षक को उसके भाई ने बताया कि उसके पिता, जो कैंसर से पीड़ित थे, का निधन हो गया था। सबसे बड़े बेटे होने के नाते, अंतिम संस्कार की प्राथमिक जिम्मेदारी उस शिक्षक की थी। एक समय में शिक्षक को जम्मू से लखीमपुर खीरी, यूपी में अपने पैतृक घर तक पहुंचना असंभव लगता था। लेकिन, यूपी प्रशासन की सक्रियता ने उन्हें अपने परिवार और सामाजिक जिम्मेदारी को पूरा करने का मौका दिया।
घटना 18 अप्रैल की है, जम्मू के लखीपुर खीरी के एक शिक्षक आशीष खरे ने अपने भाई को फोन किया कि उनके पिता का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। परिजन उसे किसी तरह लखीमपुर खीरी पहुंचने को कह रहे थे। लेकिन, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दी गई हेल्पलाइन पर एक फोन कॉल ने उन्हें समय पर अपने घर पहुंचने का रास्ता साफ कर दिया। बाद में आशीष ने बताया कि 'सबसे पहले मैंने अंतिम संस्कार में पहुंचने की उम्मीद छोड़ दी थी। उत्तर प्रदेश पहुंचने के लिए मुझे चार राज्यों से होकर गुजरना पड़ा। तब उन्हें यूपी सरकार द्वारा दी गई हेल्पलाइन के बारे में जानकारी मिली, जो लॉकडाउन में फंसे प्रवासियों के लिए बनाई गई है। उन्होंने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया। क्योंकि, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण को दिल्ली, जम्मू और कश्मीर और लेह में फंसे प्रवासियों का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
जब टीचर ने अपनी परेशानी बताई तो भूषण ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचीव शालीन काबरा से पास और गाड़ी दिलवाने के लिए बात की। बाद में जम्मू-कश्मीर सरकार की पहल पर उनके लिए एक गाड़ी का इंतजाम किया गया और पास के साथ-साथ गाड़ी के लिए स्टीकर भी जारी किए गए। वह अगले दिन 1,000 किलोमीटर दूर अपने गृहनगर पहुंच गए और 8 लोगों की मौजूदगी में अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। उन्होंने खीरी से ही अपने स्कूल के स्टूडेंट्स को ऑनलाइन क्लास पर पढ़ाना शुरू कर दिया है।