न्यूज – जहाँ देश, प्रदेश और शहर की जेलों में कोरोना ने अपने पैर पसार लिए हैं वहीं इन्दौर की जिला जेल अफ़सरों की सूझबूझ से इस आफ़त से अब तक बची हुई है। जिला जेल में सौ महिला क़ैदियों सहित क्षमता से कहीं अधिक एक हज़ार क़ैदी हैं, लेकिन सभी सुरक्षात्मक कदम उठाते हुए इस बीमारी से बचे हुए हैं।
पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाज़ी के मामले में गिरफ़्तार मुजरिम सद्दाम एकमात्र कोरोना पॉज़िटिव निकला। जेल में आने के बाद संदिग्ध पाए जाने पर सद्दाम को तत्काल कोविड अस्पताल में भेज दिया गया, जहाँ से वो स्वस्थ होकर पाँच दिन पूर्व ही जेल लौटा है। नियमों के अनुसार सद्दाम को जेल में कोरन्टाईन कर रखा है। जिला जेल के चिकित्सक डॉ. रणजीत सिंह बोध और दो मेल नर्स सभी क़ैदियों के स्वास्थ्य पर नज़र रखते हैं।
जिला जेल परिसर में पिछले दिनों एक खुली जेल बनाई गई थी। इस खुली जेल में लगभग 10 वर्ष से अधिक सज़ा काट चुके क़ैदियों को रखा जाता है, लेकिन कोरोना में विशेष छूट के चलते इस खुली जेल में रहने वाले 12 क़ैदियों को 90 दिन की पैरोल पर भेज दिया गया है। ये क़ैदी यहाँ पर विशेष सुविधाओं के अंतर्गत सपरिवार रहते थे। अब खुली जेल के सभी कमरों में जेल स्टाफ़ को ठहरा दिया गया है। कोरोना के चलते यह स्टॉफ़ घर नहीं जा पा रहा है। इस समय जेल में वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा लगभग 50 कर्मचारियों का स्टॉफ़ है।
मध्य प्रदेश में 130 सेंट्रल, जिला और उपजेल हैं। इन्दौर की जिला जेल प्रदेश की सबसे बड़ी जिला जेल है, जो अनेक जिलों की सेंट्रल जेलों से बड़ी है जहाँ अमूमन हज़ार क़ैदी एक समय में रहते हैं। प्रदेश के जेल महानिदेशक संजय चौधरी प्रत्येक दो दिनों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जेलों की व्यवस्था और संक्रमण रोकने के इंतज़ामों की चर्चा करते हैं। डीआईजी जेल संजय पांडे भी जेल गतिविधियों पर नज़र रखते हैं।