न्यूज़- कोरोना वायरस का संक्रमण पूरे देश में फैल चुका है। मामले इतने बढ़ते जा रहे हैं कि ज्यादातर अस्पतालों में सिर्फ उन्हीं मरीजों पर ध्यान दिया जा रहा है जो या तो फिर कोरोना से संक्रमित हैं या फिर जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है। कई अस्पतालों ने तो ज्यादा बोझ की वजह से कोरोना वायरस पीड़ितों के अलावा दूसरी बीमारी से जूझ रहे लोगों को भर्ती करने तक से इनकार कर दिया है। ऐसा ही मामला महाराष्ट्र के मुंबई से भी आया है। यहां वर्ली के रहने वाले एक 49 वर्षीय व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी शुरू हो गई। उसका परिवार ने गंभीर स्थिति को देखते हुए भर्ती कराने के लिए एक-दो नहीं बल्कि 8 अस्पतालों के चक्कर काटे। लेकिन किसी ने भी उसे भर्ती नहीं किया, जिसके बाद व्यक्ति की जान चली गई।
मृतक का नाम सुदर्शन रसल बताया गया है। उसके भाई अविदन ने आरोप लगाया कि सुदर्शन को अगर समय पर वेंटिलेटर पर रखा जाता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। अविदन के मुताबिक, "हम आठ घंटों तक एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक भागते रहे। हर अस्पताल में हमने अधिकारियों से सुदर्शन को भर्ती करने की मिन्नतें कीं। लेकिन सारी कोशिशें बेकार साबित हुईं।" रसल परिवार वर्ली का रहने वाला है, जो कि इस वक्त मुंबई में कोरोनावायरस का हॉटस्पॉट बना हुआ है। यहां से अब तक संक्रमण के कम से कम 388 मामले सामने आ चुके हैं। यह मुंबई के किसी भी वॉर्ड में सबसे ज्यादा है।
डायबिटीज से पीड़ित सुदर्शन को ब्लड प्रेशर की भी दिक्कत थी। साथ ही उसे कफ और सांस की भी समस्याएं थीं। पिछले कुछ दिनों से उसे हल्का कफ था। शुक्रवार रात उसे सांस लेने में काफी समस्या होने लगी। साथ ही उल्टियां भी शुरू हो गईं। परिवार के सदस्य संक्रमण की आशंका के साथ उसे पास के ही कस्तूरबा अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने बिना टेस्टिंग किट के ही उसकी जांच की और कहा कि यह कोरोना संक्रमण का मामला नहीं है।
इसके बाद परिवारवालों ने नायर हॉस्पिटल से लेकर सेंट जॉर्ज अस्पताल, केईएम, ईएनटी अस्पताल, ग्लोबल हिंदुजा और नानावटी तक के चक्कर लगाए। लेकिन कहीं मदद न मिलने के बाद वे घर लौट गए। शनिवार सुबह सुदर्शन की सांस न ले पाने से मृत्यु हो गई। परिवार को अब पता नहीं चल पाएगा कि उसे कोरोनावाययरस था या नहीं, क्योंकि आईसीएमआर की गाइडलाइंस के मुताबिक, मृत व्यक्ति के सैंपल्स नहीं इकट्ठा किए जाने हैं।