भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को पूंजी के संरक्षण और लचीला बने रहने के लिए
लाभांश (डिविडेंड) भुगतान को 50 प्रतिशत तक सीमित रखने का निर्देश दिया है।
सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों के लिए जारी एक अधिसूचना
में आरबीआई की ओर से डिविडेंड भुगतान को लेकर जारी दिशानिर्देश में कहा गया है
कि कोरोनावायरस के संक्रमण की दूसरी लहर जिस गति से बढ़ रही है,
उससे आर्थिक अनिश्चितता जैसे हालात बनने का खतरा बन गया है।
ऐसी स्थिति में बैंकों का मजबूत बने रहना काफी अहम है।
इसलिए उन्हें पहले ही जरूरी कदम उठाते हुए अपनी पूंजी की सुरक्षा करनी चाहिए।
साथ ही पूंजी में कमी आने की किसी भी आशंका या नुकसान के डर को न्यूनतम कर देना चाहिए।
रिजर्व बैंक की ओर से इस संबंध में जारी किए गए दिशानिर्देश में कहा गया है कि अगर बैंक चाहें तो 31 मार्च 2021 को खत्म हुए वित्त वर्ष के लिए अंश धारकों को डिविडेंड का भुगतान कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए शर्त ये है कि ये डिविडेंड पे-आउट रेशियो के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
रिजर्व बैंक के परिपत्र के अनुसार, वाणिज्यिक बैंक कोविड-पूर्व के स्तर की तुलना में 50 प्रतिशत लाभांश का भुगतान कर सकते हैं।
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों की वजह से बैंकों ने पिछले साल डिविडेंड का भुगतान नहीं किया था।
माना जा रहा है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का बैंकों के वित्तीय सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंकाओं को देखते हुए यह दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।