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विश्व पर्यावरण दिवस : एक दिन जिंदा रहने के लिए हमें 22 हजार बार सांस लेना होता हैं

Ranveer tanwar

दुनिया भर में आज विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुकता और पर्यावरण की सुरक्षा करने के लिए हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसी बीच विजयपाल उर्फ ग्रीनमैन ने सभी लोगों से अपील की है कि आज के दिन हमें संकल्प लेना होगा कि हमें अगले 3 सेकेंड बाद की सांस का इंतजाम खुद करना है। दरअसल इस दिन को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने के लिए वर्ष 1972 में की थी। इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था।

विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर लोग एक दूसरे को संदेश भेजते हैं। इसके अलावा लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न जगहों पर कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। वहीं बढ़ती आधुनिक दुनिया और जिंदगी की भाग-दौड़ के बीच धरती पर हर दिन प्रदूषण बेहद तेजी से बढ़ रहा है।

पर्यावरण में अचानक प्रदूषण का स्तर बढ़ने से तापमान में भी तेजी देखी जा रही है।

हालांकि जिस तरह से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, उसके कारण कई तरह की गंभीर बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही है, इसके अलावा समय के साथ साथ कई पशु-पक्षी भी विलुप्त होते जा रहें हैं।

पर्यावरणविद व ग्रीनमैन के नाम से मशहूर विजय पाल बघेल ने आईएएनएस को बताया , "आज पूरी दुनिया विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मना रही है। पर्यावरण दिवस की शुरूआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आज ही के दिन पूरी दुनिया ने पर्यावरण बचाने की चिंता जाहिर करने के साथ की थी। लेकिन इतने वर्ष के सफर के पूरी दुनिया में यदि कोई बड़ी समस्या है तो वह प्रदूषण की है।"

एक दिन जिंदा रहने के लिए हमें 22 हजार बार सांस लेना होता हैं।"

उन्होंने कहा, "कोरोना महामारी के कारण हर जगह परेशानी हो रही हैं। इसके मुख्य कारण में जाएं तो आप पाएंगे कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने का ही ये नतीजा है। आज पेड़ और सांस कम हो रही है। चारों तरफ ऑक्सीजन की मांग इतनी बढ़ गई है कि सिलेंडर के लिए लोग लाइनों में लगे हैं।"

उन्होंने कहा, "पेड़ कम हो रहें है सांस कम हो रही है, आज के अवसर पर हमें संकल्प लेना है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं और बचाएं। वहीं अगले 3 सेकेंड में जो सांस ले उसका इंतजाम हम खुद करें। क्योंकि एक दिन जिंदा रहने के लिए हमें 22 हजार बार सांस लेना होता हैं।"

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