डेस्क न्यूज़ – दुनिया भर में कोरोनोवायरस संक्रमण तेज़ी से फ़ैल रहा है, साथ ही दुनिया भर के देशों में दवा और वैक्सीन पर शोध चल रहा है। इसके साथ ही सभी देश इस बेरहम बीमारी से होने वाली मौत को रोकने की कोशिश कर रहे है।
इस बीच, दो अध्ययनों से पता चला है कि बच्चों में TB के प्रसार को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला BCG (बैसिलस कैलमेट गुएरिन) कोरोना के गंभीर संक्रमण को कम करने के साथ-साथ मृत्यु को रोकने में भी सहायक है। अध्ययन करने वालों में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के शोधकर्ता शामिल हैं।
JNU अध्ययन में पता चला कि टीके बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले BCG उपभेदों पर सुरक्षा की गुणवत्ता निर्भर करती है, जो जापान में मिश्रित, पॉश्चर और तीन अन्य उपभेदों से बेहतर है, जो एक साथ 90% से अधिक TB BCG टीकों का उपयोग करते हैं।
अध्ययन सेल डेथ एंड डिजीज में प्रकाशित हुआ था। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक दूसरे अमेरिकी अध्ययन ने भी बीसीजी टीकाकरण को कम कोविद मौतों का कारण माना।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन के अध्यक्ष गोवर्धन दास ने कहा – '1,000 से अधिक मामलों वाले देशों के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में भी जिन्हें बीसीजी टीकाकरण प्राप्त हुआ है।
उन लोगों की तुलना में अधिक सुरक्षित हैं जिन्हें बीसीजी का टीका नहीं मिला है। हमें लगता है कि बीसीजी के उपयोग से संक्रमण और संक्रमण की गंभीरता दोनों को कम करने में मदद मिलेगी। दुनिया भर में हर साल लगभग 1 बिलियन बच्चो को BCG वैक्सीन पका टिका लगता हैं।
भारत में 1949 से बच्चों का BCG टीकाकरण शुरू हुआ। 2019 में पैदा होने वाले 26 मिलियन भारतीय बच्चों में से कम से कम 97% टीकाकरण किए गए। यह टीका बचपन की टीबी और मेनिन्जाइटिस से बचाता है, लेकिन वयस्क फुफ्फुसीय टीबी से सुरक्षा प्रदान नहीं करता है, जिसके कारण कई देशों ने इसका इस्तेमाल नहीं किया है।
दास ने कहा, "सेल मेडिएटेड इम्युनिटी के साथ, BCG एक पावर-फुल इम्युनिटी रेगुलेटर है। BCG में कुष्ठ रोग, घातक अल्सर, ब्लैडर कैंसर, टाइप -1 डायबिटीज और कई अन्य बीमारियों से सुरक्षा सम्मिश्रण है।
जिसमें माइकोबैक्टीरिया नहीं है। इन्क्यूब मैकास में BCG से पल्मनरी संक्रमण होता है, जिसके कारण इसे श्वसन संक्रमण की रोकथाम के लिए टीका लगाया जाना प्रस्तावित था। कोविद -19 भी एक प्रकार का श्वसन संक्रमण है, इसलिए यह अध्ययन को एक और आधार देता है।
कई चिकित्सकों और महामारी विज्ञानियों ने इस अध्ययन के निष्कर्षों को सही नहीं माना है। फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, डीआर में पीडियाट्रिक्स के निदेशक कृष्णन चुघ ने कहा- 'मुझे लगता है कि इसका कोई ठोस सबूत नहीं है। यह संभावना कम है कि बच्चे के वयस्क होने तक प्रतिरक्षा जारी रहेगी।
हमारे पास भारत से इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि यह वयस्क टीबी से रक्षा नहीं करता है। बच्चों में भी, यह साधारण टीबी मस्तिष्क और अन्य अंगों को प्रभावित होने से रोकता है। '
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