देश में कोरोना महामारी के साथ ब्लैक फंगस का कहर लगातार जारी है। ऐसे में इस खतरनाक महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार अहम फैसले ले रही है। इसी क्रम में मंगलवार को केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने बड़ी जानकारी देते हुए बताया कि देश में ब्लैक फंगस दवा के उत्पादन की क्षमता को तीन लाख से बढ़ाकर प्रतिदिन सात लाख कर दिया गया है। ब्लैक फंगस की दवा की सात लाख शीशियों का आयात करने का फैसला किया गया है। 31 मई से पहले तीन लाख शीशीयां आ जाएंगी।
जून के पहले और दूसरे हफ्ते में और तीन लाख आ जाएंगी। उन्होंने कहा कि
जून में लगभग 15-16 लाख (एम्फोटेरिसिन बी) शीशियों का उत्पादन होने
की उम्मीद है। भारत में आठ लाख शीशियों का उत्पादन होगा, जबकि आयात
से हम सात लाख शीशियों की उम्मीद कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अभी छह कंपनियां यह दवा बना रही थीं। इनके अलावा पांच और कंपनियों को दवा बनाने की इजाजत दे दी गई है। मौजूदा कंपनियां भी उत्पादन बढ़ाना शुरू कर चुकी हैं। इसके साथ ही भारतीय कंपनियों ने इस दवा के छह लाख वॉयल्स के आयात का आर्डर भी दे दिया है।
एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स, नाटको फार्मा, गुफिक बायो साइंसेस लि., एलेम्बिक फार्मास्यूटिकल्स, लायका फार्मास्यूटिकल्स
मायलन, भारत सीरम्स, बीडीआर फार्मा, सन फार्मा, सिप्ला, लाइफ केयर
अमेरिका के सीडीसी के मुताबिक, म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस एक दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है। लेकिन ये गंभीर इंफेक्शन है, जो मोल्ड्स या फंगी के एक समूह की वजह से होता है। ये मोल्ड्स पूरे पर्यावरण में जीवित रहते हैं। ये साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने ट्वीट कर बताया है कि आंखों में लालपन या दर्द, बुखार, खांसी, सिरदर्द, सांस में तकलीफ, साफ-साफ दिखाई नहीं देना, उल्टी में खून आना या मानसिक स्थिति में बदलाव ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं।