महादेव की नगरी काशी में शारदीय नवरात्रि से अश्विनी शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक मां दुर्गा की आराधना का महापर्व मनाया जाएगा | काशी में दुर्गा पूजा बहुत धूमधाम और आस्था के साथ मनाई जाती है। इसलिए इसे मिनी बंगाल भी कहा जाता है। इस बार मां की विशेष प्रतिमा बनाई गई है। जहां मां दुर्गा को डॉक्टर बनाया गया है, भगवान गणेश को पुलिसकर्मी, मां सरस्वती को मीडियाकर्मी, मां लक्ष्मी को नर्स बनाया गया है. इस बार दानव को कोरोना के रूप में दर्शाया गया है।
इस बार मां की विशेष मूर्ति आकर्षण का केंद्र बनेगी, जहां मां दुर्गा को डॉक्टर बनाया गया है, भगवान गणेश को पुलिसवाला बनाया गया है, मां सरस्वती को मीडियाकर्मी बनाया गया है, मां लक्ष्मी को नर्स बनाया गया है। इस बार दानव को कोरोना के रूप में दर्शाया गया है। लोगों का मानना है कि जिस तरह मां ने महिषासुर का संहार किया था, उसी तरह इस बार भी दशहरे पर मां राक्षसी कोरोना महामारी का संहार करेगी। पूरी दुनिया से खत्म हो जाएगी वैश्विक महामारी।
इस बार काशी के मूर्तिकार ने कोविड-19 को राक्षस के रूप में बनाया है। इस मूर्ति की चर्चा पूरे शहर में है। यह मूर्ति गोदौलिया के गीता मंदिर में स्थापित की जाएगी। वैश्विक महामारी के दौरान, जब पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया था। तो वही 5 लोग सड़कों पर उतर कर लोगों की सेवा कर रहे थे. इसी कोरोना थीम पर मां भगवती की प्रतिमा बनाई गई है.
मूर्तिकार शीतल कुमार प्रजापति ने कहा कि वैश्विक महामारी को देखते हुए कोरोना की थीम में मां दुर्गा की मूर्ति बनाई गई है. इस साल नवरात्रि में मां दुर्गा आकर दानव कोरोना वायरस का वध करेंगी। इसके साथ ही मां के दस हाथों में मास्क, हाथ धोने, शुद्ध पानी, सैनिटाइजर, वैक्सीन, हथियार सहित दवा का प्रतीकात्मक रूप होगा। भगवान गणेश को पुलिसकर्मी, मां लक्ष्मी, नर्स मां सरस्वती को मीडियाकर्मी बनाया गया है।
मूर्तिकार प्रदुम कुमार चौरसिया ने बताया कि इस बार हमने जो मां आदिशक्ति की मूर्ति बनाई है, वह कोरोना को देखते हुए बनाई गई है. मां को डॉक्टर का रूप दिया गया है। असुर को कोरोना का रूप दिया गया है। इस मूर्ति को तैयार करने में करीब 2 महीने का समय लगा।