अपराध

2.50 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला: आरोपियों ने अपनी पुरानी कंपनियों से उपभोक्ताओं का डेटा चुराया जहां वे काम करते थे, ठगी कंपनी बनाकर वारदातें की

Manish meena

शास्त्री नगर थाना पुलिस ने ढाई करोड़ रुपये की ठगी के मामले में बुधवार को एक अन्य मुख्य आरोपी अनिल कुमार को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने 13 फरवरी को वीरेंद्र उपाध्याय नाम की पीड़ित से ढाई करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया था. पहली गिरफ्तारी 8 मार्च 2020 को की गई थी।

जब परतों को खंगाला गया तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए

इसके बाद जब परतों को खंगाला गया तो कई चौंकाने वाले खुलासे

हुए। गिरोह ने ठगी करने के लिए कंपनी बना ली थी। आरोपियों ने

उनकी पुरानी कंपनियों डेविस वैल्यू क्लब, एचएनआई क्लब, वैल्यू

क्लब, हॉलिडे सर्विस से उपभोक्ताओं का डेटा चुराया और फिर

धोखाधड़ी की।

जयपुर, जोधपुर, पाली और अन्य स्थानों पर 27 से अधिक बैंक खाते खोले

इसकी शुरुआत 2013 में हुई थी। देवेंद्र त्यागी और सोनू कॉल सेंटर में काम करते थे।

2015 तक वीरेंद्र से आरोपी 4 ठगी कंपनियों के जरिए 54 लाख ठग चुका था।

दोनों आरोपियों ने 2015 में कॉल सेंटर खोला था।

फिर अलग-अलग नंबरों से पीड़ित से संपर्क करने लगे।

जयपुर, जोधपुर, पाली और अन्य स्थानों पर 27 से अधिक बैंक खाते खोले।

खातों से पैसे निकालने के लिए एक अलग व्यक्ति नियुक्त किया गया था।

ठगी का पूरा चैनल संभालते थे ये 15 किरदार, कई आरोपी कॉल सेंटर में काम करते थे तो कुछ अपना कॉल सेंटर चलाते थे-

पवन खत्री : जोधपुर निवासी। फर्म के नाम पीएनबी, सिंडिकेट, यूनियन बैंक,

महाराष्ट्र बैंक, कोटक महिंद्रा और एसबीआई में 12 चालू खाते खोलें।

30 से 40 हजार रुपए दिए गए। गिरफ्तार पहला आरोपी है।

घनश्याम : पाली निवासी। आधार का पता बदला और जयपुर में एनएफटी सेवा के नाम से एक फर्म खोली।

बड़ौदा और महाराष्ट्र बैंक में तीन खाते। पवन खत्री को चेक बुक दी गई।

राजेंद्र सिंह : पाली निवासी। उसने पवन के दो खाते खुलवाए और उसे एटीएम और चेक बुक दी।

राजेंद्र सिंह ने ही बचत खाते खोले थे। इसके लिए 10 से 15 हजार रुपये मिले।

बैंक की सभी गतिविधियों में शामिल।

ब्रजेश कुमार- बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हैं।

वह अपने खाते में पैसे जमा करने और निकालने का काम करता था।

वह दस फीसदी रकम निकाल लेता था। वह अनिल कुमार के संपर्क में रहता था।

मनीष सोनी – एसबीआई, यूनियन सेंट्रल, बैंक ऑफ इंडिया में तीन खाते खोलें।

सभी खातों में एक ही मोबाइल नंबर था। वह नेट बैंकिंग के जरिए पैसे निकालता और जमा करता था।

अशोक कुमार- गाजियाबाद निवासी। साइबर कैफे चलाता था।

वह एक निजी कंपनी में काम करता है। वेतन खाते का इस्तेमाल ठगी के लिए करता था।

देवेंद्र खाते से पैसे निकालकर कमीशन रखता था। यह किराये के खाते का 10 फीसदी भुगतान करता था।

दीपेश चौहान- ग्रेटर नोएडा निवासी। इसका काम खातों में आने वाली राशि पर नजर रखना था।

कितना पैसा मिला? किसको कितना पैसा देना है?

दीपेश अपने साथी हर्षवर्धन ठाकुर के साथ मिलकर काम करता था।

हर्षवर्धन ठाकुर- ग्रेटर नोएडा में कॉल सेंटर चलाता था।

पुलिस ने उसके पास से एक कार, बाइक और अन्य सामान बरामद किया है।

प्रदीप- पहले नोएडा स्थित श्रीधर इंश्योरेंस कंपनी के कॉल सेंटर में काम करता था।

कंपनी आरबी सर्विसेज जयपुर में खुली। इसके नाम से चालू खाता खोला गया।

इसमें पैसे ट्रांसफर किए गए। यह ठग गिरोह का हिसाब-किताब रखता था।

मोहित गंगवाल – कॉल सेंटर की जिम्मेदारी। मुरादाबाद में धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार

बीमा कंपनी में काम करने के दौरान उपभोक्ताओं के नंबर चुराए गए।

इस पर भी बातचीत की जिम्मेदारी। प्रदीप के संपर्क में था।

गौरव – मोहित के साथ नोएडा की कंपनी आईआईएफएल में काम करता था।

इसके बाद कॉल सेंटर पहुंचा। जिसे कोरोना के दौरान बंद कर दिया गया था।

देवेंद्र त्यागी – मास्टरमाइंड में से एक। लोगों से खाते किराए पर लेता था।

ओपन मार्केटिंग से एमबीए। 2013 से डेविस वैल्यू से जुड़ा।

इसने पीड़ितों के नंबर चुराए। इसके बाद सोनू के साथ मिलकर पूरी टीम को तैयार किया।

सोनू गिरी – देवेंद्र त्यागी के खास साथी। कॉल सेंटर संचालित।

साथ ही ठगी से आने वाली 70 फीसदी रकम आपस में बांट लिया करता था।

इसके बाद खाते जुटाने वाले व्यक्ति को देता था।

पंकज- लोगों से खाता खुलवाने का काम करता था।

इसके लिए वह अलग से 10 प्रतिशत कमीशन भी लेता था। बीकॉम पास रोहित के संपर्क में था।

रोहित- मार्केटिंग में पीजी। रुपये निकालने की जिम्मेदारी टूर एंड सर्विस

के नाम से कार्यालय खोला गया। वहां कार्यरत युवकों के कागजों पर खाते खोले गए। यह आरोपी फरार है।

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