राजस्थान में पुलिस वकीलों के कटघरे में खड़ी होती दिख रही है। श्रीगंगानगर के घड़साना में बार संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सिंह झोरड़ की आत्महत्या के मामले ने सियासी तूल पकड़ लिया है। सोशल मीडिया पर भी मामले को लेकर वॉर प्रतिक्रिया जारी है। आज घड़साना के बाजार पूरी तरह बंद रखे गए हैं।
तो वही बीजेपी के उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि सीकर में वकील हंसराज मावलिया के आत्मदाह की स्याही अभी सूखी ही नहीं थी, कि अब श्रीगंगानगर जिले के घड़साना बार संघ के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट विजय सिंह झोरड़ ने पुलिस प्रताड़ना और मारपीट से मानसिक रूप से परेशान होकर आत्महत्या कर ली है। यह घटना सरकार के माथे पर कलंक है और वकीलों में गहरा आक्रोश है।
27 अप्रेल को बीकानेर संभाग की बार एसोसिएशन ने भी दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और उन्हें सस्पेंड करने की मांग को लेकर कार्य बहिष्कार किया था. उसके बाद एडवोकेट विजय सिंह झोरड़ पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोर्ट के इस्तगासा के जरिए मामला दर्ज करवाया था. बताया जा रहा है कि उस केस को वापस लेने को लेकर पुलिसकर्मियों की ओर से झोरड़ पर दबाव बनाया जा रहा था. इसी से तंग आकर आखिरकार विजय सिंह झोरड़ ने सोमवार को घड़साना में अपने आवास पर फांसी का फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था
राठौड़ ने कहा- कस्बे में नशे के खिलाफ अभियान चलाने वाले वकील के साथ पुलिसकर्मियों ने 18 अप्रैल को पहले भी बेरहमी से बेवजह मारपीट की थी। जिससे उन्हें मानसिक धक्का पहुंचा और उन्होंने आत्महत्या कर ली। पुलिस प्रताड़ना के कारण ही वकील को मजबूरन आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा। घड़साना और सीकर दोनों वकील आत्महत्याओं के केस की न्यायिक जांच होनी चाहिए। वकील समाज का सबसे प्रतिष्ठित, जागरुक और चिन्तनशील वर्ग का व्यक्ति होता है। वही भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान में पुलिस से प्रताड़ित होकर आत्महत्या करेगा, तो आम आदमी का क्या होगा। मेरी मांग है कि पीड़ित परिवार को जल्द न्याय मिले और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।