नाबालिग से यौन उत्पीड़न के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे आसाराम को कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली। गुरुवार को हाई कोर्ट की जोधपुर खंडपीठ ने अंतरिम जमानत की उसकी अर्जी पर सुनवाई की। कोर्ट ने उसका इलाज एम्स में कराने के निर्देश दिए और मामले की अगली सुनवाई 21 मई को तय की।
कोर्ट में दाखिल अपनी जमानत याचिका में आसाराम ने कहा है कि वह
कोरोना पॉजिटिव है और हरिद्वार में आयुर्वेदिक उपचार के लिए जाना चाहता
है। इसलिए उसे जमानत दी जाए। गुरुवार को जस्टिस संदीप मेहता व
जस्टिस देवेन्द्र कच्छवाह की खण्डपीठ में सुनवाई के दौरान
राजकीय अधिवक्ता अनिल जोशी ने एम्स की ओर से जारी रिपोर्ट को खण्डपीठ के समक्ष पेश किया।
इस पर खण्डपीठ ने आसाराम का इलाज एम्स में करने के आदेश दिया
और अगली सुनवाई के दौरान एम्स को आसाराम के स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर नई रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए।
खण्डपीठ ने अपने आदेश में आसाराम की वृद्धावस्था तथा बीमारी को देखते हुए
एम्स में विशेषज्ञों की देख-रेख में इलाज जारी रखने के निर्देश दिए।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर अनिल जोशी ने पक्ष रखा।
वहीं आसाराम की ओर मुम्बई के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा, व
रिष्ठ अधिवक्ता जगमाल सिंह चौधरी व प्रदीप चौधरी ने वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखा।
राज्य सरकार की तरफ से जमानत का विरोध किया गया। सरकारी वकील अनिल जोशी ने कहा कि एम्स की तरफ से पेश आसाराम की मेडिकल रिपोर्ट में उसे किसी प्रकार की गंभीर बीमारी नहीं बताई गई है। फिलहाल, उसका सिर्फ कोरोना संक्रमण का इलाज किया जा रहा है। वहीं, कोरोना संक्रमित व्यक्ति को 14 दिन तक आइसोलेट रहना अनिवार्य है। ऐसे में जमानत दिए जाने का कोई आधार नहीं बनता।
दोनों पक्ष के तर्क सुनने के बाद खंडपीठ ने अगली सुनवाई तिथि 21 मई तय कर दी। तब तक आसाराम के कोरोना संक्रमित होने के बाद के 14 दिन भी पूरे हो जाएंगे। साथ ही, एम्स से उस दिन आसाराम के स्वास्थ्य की ताजा रिपोर्ट पेश करने को कहा। इसके बाद ही आसाराम की इलाज के संबंध में लगाई गई जमानत याचिका पर फैसला हो पाएगा।