अपराध

घर में आग लगने से एक ही परिवार के चार लोग जिंदा जले, पुलिस के हाथ लगे कंकाल

Manish meena

पाल रोड स्थित सुभाष नगर स्थित एक घर में रविवार की शाम आग लगने से एक ही परिवार के चारों सदस्य जिंदा जल गए। दमकल ने आग पर काबू पाया। इसके बाद घर के पिछले कमरे में वृद्ध माता-पिता सुभाष चौधरी (81) और नीलम चौधरी (76), बड़ी बेटी पल्लवी (50) और छोटी बेटी लावण्या (40) के कंकाल मिले। एक बेटी विकलांग थी। जबकि दूसरी बेटी सेंट पॉल स्कूल में टीचर थी। आग लगने के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है।

राजस्थान के जोधपुर से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है

प्रथम दृष्टया पुलिस को पूरा मामला संदिग्ध लग रहा है। पुलिस जांच

के बाद ही मामले का खुलासा करने की बात कह रही है। देर रात

एफएसएल की टीम मौके पर पहुंची और साक्ष्य जुटाए। परिवार की

तीसरी बेटी की शादी चंडीगढ़ में हुई है। उसे घटना की सूचना दे दी गई है।

टीचर बेटी पर थी, माता-पिता व निशक्त बहन की जिम्मेदारी

सुभाष चौधरी करीब 21 साल पहले काजरी से सेवानिवृत्त हुए थे।

वृद्ध होने के कारण वह और उनकी पत्नी नीलम पूरी तरह से चल-फिर नहीं पा रहे थे।

दोनों व्हीलचेयर या बैसाखी की मदद से घर के दैनिक काम करने करते थे।

वहीं छोटी बेटी लावण्या बचपन से ही विकलांग होने के कारण बिस्तर पर लेटी रहती थी।

ऐसे में बड़ी बेटी पल्लवी ही परिवार का सहारा थी। वह शहर के एक निजी स्कूल में शिक्षिका थी।

वह नौकरी के साथ-साथ सुबह-शाम के भोजन, घर के कामों और माता-पिता और बहन

को दवा देने की भी जिम्मेदारी उसी पर थी। बताया जा रहा है कि वह पिछले कुछ दिनों से परेशान चल रही थीं।

शाम साढ़े पांच बजे से ही आ रही थी पड़ोसियों को बदबू

सुभाष चौधरी के घर और पिछवाड़े में रहने वाले परिवारों ने बताया कि

रविवार शाम 5.30 बजे से बदबू आने लगी थी. कुछ पड़ोसियों ने आपस में इस बारे में बात की, लेकिन किसी को शक नहीं हुआ कि घर में चार लोगों की आग से जान चली गयी है। इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद आसपास के लोग सहमे हुए हैं. इधर, कलेक्टर इंद्रजीत सिंह, पुलिस आयुक्त जोस मोहन ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और पड़ोसियों से भी घटना की जानकारी ली.

बड़ा सवाल: दुर्घटना या सामूहिक आत्महत्या?

मामला पूरी तरह से संदिग्ध है। इतने बड़े हादसे में भी पड़ोसियों के चीखने-चिल्लाने की आवाज नहीं आई। बताया जा रहा है कि पल्लवी पूरी तरह से एक्टिव थी, बचाने के लिए उसने किसी को फोन क्यों नहीं किया? अगर आग का कारण शार्ट सर्किट माना जाता है तो भी इतनी बड़ी आग अचानक नहीं लगी होगी, ऐसे में किसी को मदद के लिए नहीं बुलाना और घर के सभी दरवाजे बंद करना सवाल खड़ा करता है. आग भीषण होती तो पूरा घर जल कर राख हो जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सामूहिक आत्महत्या की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।

पड़ोसियों ने घर से धुंआ उठता देखा तो फायर बिग्रेड को बुलाया गया

रविवार शाम करीब साढ़े छह बजे पड़ोस के घर में रहने वाले अर्जुन राठी और पिछवाड़े में रहने वाले पार्षद अनिल गट्टानी ने शाम साढ़े सात बजे चौधरी के घर के बाहर तारों से धुआं उठता देखा. इस पर दोनों को किसी अनहोनी का शक हुआ। दोनों ने पुलिस को सूचना दी। 9:20 बजे नगर निगम और शास्त्रीनगर थाने की दमकल की गाड़ी मौके पर पहुंची.

घर अंदर से बंद था, कमरे में मिले चार कंकाल

घर के सभी दरवाजे अंदर से बंद होने के कारण पुलिस और दमकल को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। फायर ब्रिगेड ने दरवाजे तोड़कर आग पर काबू पाया। तब तक सुभाष के अलावा उनकी पत्नी नीलम, दोनों बेटियां पल्लवी और लावण्या जल चुकी थीं। चारों के कंकाल एक कमरे में पड़े थे।

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