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कुंभ में कोरोना टेस्टिंग में फर्जीवाड़ा: ईडी ने दिल्ली से लेकर देहरादून तक लैब में छापेमारी की, फर्जी बिल, लैपटॉप और 30.9 लाख रुपये की नकदी जब्त

उत्तराखंड में कुंभ मेले के दौरान फर्जी कोरोना टेस्टिंग का मामला सामने आया है. ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के सिलसिले में शुक्रवार को पांच डायग्नोस्टिक फर्मों के शीर्ष अधिकारियों के घरों और कार्यालयों की तलाशी ली। इस दौरान नकली बिल, लैपटॉप, मोबाइल फोन, संपत्ति के कागजात और 30.9 लाख रुपये नकद जब्त किए गए

Manish meena

उत्तराखंड में कुंभ मेले के दौरान फर्जी कोरोना टेस्टिंग का मामला सामने आया है. ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के सिलसिले में शुक्रवार को पांच डायग्नोस्टिक फर्मों के शीर्ष अधिकारियों के घरों और कार्यालयों की तलाशी ली। इस दौरान नकली बिल, लैपटॉप, मोबाइल फोन, संपत्ति के कागजात और 30.9 लाख रुपये नकद जब्त किए गए।

उत्तराखंड में कुंभ मेले के दौरान फर्जी कोरोना टेस्टिंग का मामला सामने आया

जांच एजेंसी ने जिन कंपनियों पर छापा मारा उनमें नोवस पाथ लैब्स, डीएनए लैब्स, मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, डॉ. लाल चंदानी लैब्स और नलवा लैबोरेटरीज शामिल हैं। देहरादून, हरिद्वार, दिल्ली, नोएडा और हिसार में तलाशी ली गई। राज्य सरकार उन्हें पहले ही 3 करोड़ 40 लाख रुपये का भुगतान कर चुकी है।

जितने टेस्ट उन्होंने दिखाए, उतने नहीं किए गए, सूची में कई नाम फर्जी थे

इस मामले में उत्तराखंड पुलिस ने शिकायत दर्ज की थी, जिसके बाद ईडी ने जांच शुरू की थी. इन प्रयोगशालाओं को उत्तराखंड सरकार द्वारा कुंभ मेले के दौरान रैपिड एंटीजन टेस्ट और आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने का ठेका दिया गया था। आरोप है कि जितने टेस्ट उन्होंने दिखाए, उतने नहीं किए गए. सूची में कई नाम फर्जी थे।

जो लोग कुंभ में नहीं गए, उनका भी नाम भी सूची में

ईडी ने कहा कि उन्होंने कई लोगों के लिए एक ही मोबाइल नंबर, पता और फॉर्म का इस्तेमाल किया। इसमें कई लोगों के नाम बिना जांचे ही जोड़े गए। इनमें से कई लोग ऐसे भी थे जो कुंभ में भी नहीं गए थे। इन लैब की फर्जी निगेटिव टेस्टिंग के कारण उस समय हरिद्वार में पॉजिटिविटी रेट 0.18% थी, जो कि हकीकत में 5.3% थी।

ऐसे हुआ था घोटाले का खुलासा

यह घोटाला जून में सामने आया था। पंजाब के एक व्यक्ति के मोबाइल पर कुंभ में कोरोना टेस्ट कराने का मैसेज आया, भले ही वह हरिद्वार नहीं गया हो। इसको लेकर उन्होंने शिकायत की थी। इस मामले में आईसीएमआर की सक्रियता पर राज्य सरकार ने मामले की जांच शुरू कर दी है. शुरुआत में 1 लाख से ज्यादा फर्जी कोरोना टेस्टिंग करने की बात कही जा रही थी.

कुंभ के दौरान एक महीने में बढ़ी कोरोना की रफ्तार 8814%

कुंभ के दौरान एक महीने के भीतर (14 फरवरी से 14 अप्रैल) राज्य में कोरोना मरीजों के मिलने की रफ्तार में 8814% की बढ़ोतरी हुई। उत्तराखंड में 14 फरवरी से 28 फरवरी तक सिर्फ 172 लोग संक्रमित पाए गए। फिर 1 से 15 अप्रैल के बीच 15,333 लोग कोरोना की चपेट में आए. फरवरी तक यहां रोजाना 30 से 60 के बीच ही लोग संक्रमित पाए जाते थे। अप्रैल में यह संख्या 2,000 से बढ़कर 2,500 हो गई।

साधु-संत एक दूसरे पर संक्रमण फैलाने का आरोप लगाने लगे

कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर अखाड़े के साधु-संत आपस में भिड़ गए। वे एक-दूसरे पर कोरोना फैलाने का आरोप लगाने लगे। बैरागी अखाड़े ने आरोप लगाया कि कुंभ में संक्रमण संन्यासी अखाड़ों से फैला है। निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास ने कुंभ में संक्रमण के बढ़ते मामलों के लिए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि को जिम्मेदार ठहराया.

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