डेस्क न्यूज़- गाजियाबाद में एक बुजुर्ग मुस्लिम की पिटाई के मामले में अब नया मोड़ आ गया है, पुलिस की प्राथमिकी पर सवाल उठाते हुए पीड़ित बुजुर्ग के बेटे ने कहा है कि कोतवाल ने अपनी मर्जी से तहरीर लिखी है, बेटे बबलू सैफी ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि उन्होंने घटना की शिकायत थाना लोनी में की थी, लेकिन वहां के कोतवाल ने खुद तहरीर लिखकर अपने पिता से हस्ताक्षर करवाए, बता दें कि इस मामले में पुलिस ने ट्विटर इंडिया समेत 9 लोगों के खिलाफ फर्जी खबरें फैलाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है।
बेटे बबलू सैफी ने दावा किया, हमने थाने लोनी में शिकायत की थी लेकिन कोतवाल ने अपनी मर्जी से वहां तहरीर बना दी, उन्होंने यह भी कहा कि अगर आपकी दाढ़ी कटी है तो कटने दो, हवा आएगी और मजा आएगा, हमारे साथ हमारे मसीहा उम्मेद पहलवान गए उन्होंने कहा कि यह तुम्हारी गलती है, दाढ़ी एक मुसलमान की पहचान है, आज उनका एक्सीडेंट हो गया, कल मेरे साथ भी हो सकता है, यह भाषा गलत है, इसे वापस लें और तहरीर लिखें, लेकिन उन्होंने अपनी मर्जी से तहरीर लिखी और हमारे पिता से दस्तखत करवा दिए।
बबलू सैफी ने आगे कहा, यह निराधार है कि मेरे पिता ताबीज देने का काम करते हैं, हम लोहार और बढ़ईगीरी करते हैं और मेरा अपना लकड़ी का काम है, ताबीज देने का आरोप गलत है, इस मामले में गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए बबलू सैफी ने कहा कि जिन लड़कों को पुलिस ने पकड़ा है, क्या वो उस वीडियो में दिख रहे लड़के हैं?
बबलू ने कहा, जिस तरह से दिखाया जा रहा है कि हमने तीन लड़कों को पकड़ा है, यह भी जानना जरूरी है कि क्या वीडियो में दिख रहे लड़के वही हैं? बेटे ने कहा कि पुलिस ने उसकी शिनाख्त नहीं कराई है, जब सैफी से मारपीट करने वाले लड़कों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनका परिवार उनमें से किसी को नहीं जानता।
पीड़ित बुजुर्ग के बेटे सैफी ने कहा, मोदी सरकार से हमारी मांग है कि वीडियो में जो दिख रहा है उसके आधार पर हमें न्याय दिया जाए, जिस तरह से इस बात को बार-बार घुमाया और उछाला जा रहा है, न्याय कहां है।
गाजियाबाद पुलिस का कहना है कि मामले की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि घटना को अंजाम देने वाले बदमाश पीड़िता के परिचित थे, पीड़िता ने उसे ताबीज बेचा था और सकारात्मक परिणाम का आश्वासन दिया था, जब उन तावीज़ों ने काम नहीं किया तो शरारती तत्वों ने गुस्से में उनकी पिटाई कर दी, इस मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
सोमवार को गाजियाबाद के एक बुजुर्ग का एक वीडियो वायरल हुआ था, वीडियो में दिख रहा है कि बुजुर्ग सामने हाथ जोड़ रहे हैं लेकिन वे उसकी एक नहीं सुन रहे हैं, आरोपित बुजुर्ग की पिटाई कर रहे हैं, घटना का वीडियो वायरल हुआ तो मंगलवार को पीड़िता का एक और वीडियो ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा, इसमें पीड़ित बुजुर्ग कह रहे हैं कि उन्हें एक जंगली इलाके में ले जाकर एक कमरे में बंद कर दिया गया, वहां 5 लोगों ने उसके साथ बदसलूकी की, उन्हें थप्पड़ मारकर जय श्री राम का जाप करने को कहा, यहां तक कि उनकी दाढ़ी भी काट ली गई थी।
इस मामले में पुलिस ने प्रारंभिक जांच के तहत मंगलवार देर रात बयान जारी कर कई कार्रवाई की, पुलिस ने ट्विटर इंडिया समेत 9 लोगों पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
आरोपियों में मोहम्मद जुबैर (एलटी न्यूज के सह-संस्थापक), राणा अयूब (वरिष्ठ पत्रकार, गुजरात फाइल्स के लेखक), द वायर (समाचार वेबसाइट), सलमान निजामी (कांग्रेस नेता), मस्कूर उस्मानी (कांग्रेस नेता), समा मोहम्मद (कांग्रेस) शामिल हैं, सबा नकवी (वरिष्ठ पत्रकार), ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153, 153ए, 295ए, 505, 120बी और 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
गाजियाबाद के लोनी में हुई घटना पर यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने कहा, 'गाजियाबाद पुलिस की जांच में पाया गया कि घटना 5 जून की है और वीडियो में दिख रहा शख्स और उसके साथ बदसलूकी करने वाला शख्स पूर्व परिचित था, उन लोगों को ताबीज बेचे थे, सकारात्मक परिणाम न मिलने पर उन्होंने उसके साथ मारपीट की।
एडीजी ने आगे कहा, 14-15 जून की दरम्यानी रात को गाजियाबाद पुलिस ने अपने ट्विटर हैंडल से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट किया कि घटना निजी विवाद के चलते हुई है, बावजूद इसके 5 लोगों और एक मीडिया ग्रुप ने धार्मिक विद्वेष और राज्य में माहौल खराब करने के कारण अपने ट्वीट डिलीट नहीं किए, न ही उन्होंने अपने अगले संदेश में सही तथ्यों का जिक्र किया, ट्विटर कॉर्पोरेशन और ट्विटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने भी धार्मिक झूठे ट्वीट्स को हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की।