अपराध

पेगासस जासूसी मामले पर सरकार ने लोकसभा में दिया जवाब, रिपोर्ट को बताया तथ्यों से परे, विपक्ष ने फोन टेपिंग की स्वतंत्र जांच की मांग की

Deepak Kumawat

डेस्क न्यूज़- मानसून सत्र के पहले दिन आज (सोमवार) देश के कई पत्रकारों, राजनेताओं और अन्य लोगों की जासूसी करने के मामले को लेकर संसद में जमकर बवाल हुआ है, विपक्ष के हंगामे के बाद केंद्रीय आईटी मंत्री ने लोकसभा में जवाब दिया है. वैष्णव ने इस रिपोर्ट के समय पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह तथ्यों से परे है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है।

संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले प्रेस रिपोर्ट आई

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए कल रात एक वेब पोर्टल ने बेहद सनसनीखेज रिपोर्ट दी है, इसमें कई आरोप लगाए गए हैं, संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले प्रेस रिपोर्ट आई, यह भी महज इत्तेफाक नहीं हो सकता, व्हाट्सएप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर पहले भी इसी तरह के दावे किए गए थे, उन रिपोर्टों का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था, कल जो रिपोर्ट आई है वह देश के लोकतंत्र और हमारी सुस्थापित संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश लगती है।

डेटा का जासूसी से कोई लेना-देना नहीं

वैष्णव ने कहा कि डेटा का जासूसी से कोई लेना-देना नहीं है, टैपिंग केवल राष्ट्रीय हित और सुरक्षा के मामलों में होती है, मीडिया में आई खबरें तथ्यों से परे और भ्रामक हैं, फोन टैपिंग को लेकर सरकार के नियम बेहद सख्त हैं, लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।

इस सनसनीखेज कहानी के पीछे कोई ठोस तथ्य नहीं है

आईटी मंत्री ने कहा कि मैं सदन के सभी सदस्यों से तथ्यों और तर्क पर मुद्दों की जांच करने का अनुरोध करता हूं, इस रिपोर्ट का आधार यह है कि एक संघ है जिसके पास 50,000 फोन नंबरों के लीक हुए डेटाबेस तक पहुंच है, आरोप है कि इन फोन नंबरों से जुड़े लोगों की जासूसी की जा रही है, वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा में एक फोन नंबर की मौजूदगी से यह पता नहीं चलता है कि कोई डिवाइस पेगासस के लिए एक्सेस योग्य था या नहीं, हालांकि फोन की जांच किए बिना, यह निश्चित रूप से बताना संभव नहीं है कि डिवाइस हैक किया गया था या नहीं, ऐसे में जब हम इस मुद्दे को तर्क की कसौटी पर कसते हैं तो यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि इस सनसनीखेज कहानी के पीछे कोई ठोस तथ्य नहीं है।

विपक्ष ने फोन टेपिंग की स्वतंत्र जांच की मांग की

वाशिंगटन पोस्ट और द गार्जियन अखबार ने एक रिपोर्ट जारी की है, इसमें कहा गया है कि भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, तीन विपक्षी नेताओं, सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश, कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कई बड़े व्यापारियों के फोन पेगासस के जरिए जासूसी की जा रही थी, जो इजरायल में विकसित एक सॉफ्टवेयर है, इस मामले को लेकर विपक्षी दलों ने लोकसभा और राज्यसभा के दोनों सदनों में इस विषय पर चर्चा की मांग करते हुए स्थगन प्रस्ताव दिया है।

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