राजस्थान हाईकोर्ट के वकील और आरटीआई एक्टिविस्ट गोवर्धन सिंह को जयपुर की सदर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बुधवार दोपहर गिरफ्तारी के बाद आज सुबह अधिवक्ता गोवर्धन सिंह को पुलिस उनके ऑफिस लेकर पहुंची और उनके सी स्कीम स्थित नवलखा अपार्टमेंट में कार्यालय पर कार्रवाई की।
पुलिस ने IT एक्ट में कार्रवाई करते हुए एडवोकेट गोवर्धन सिंह के ऑफिस से कंप्यूटर को जब्त किया। कार्रवाई करते हुए पुलिस अब एडवोकेट गोवर्धन सिंह को सेशन कोर्ट में पेश करेगी। गौरतलब है की सोशल मीडिया पर लंबे समय से गोवर्धन सिंह ने सरकार और भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
गिरफ्तारी के मामले को समझें तो, दो साल पहले एक महिला पुलिस अफसर संध्या यादव (sandhya yadav) के खिलाफ अभद्र और जातिगत टिप्पणियां करने के आरोप में पुलिस ने एडवोकेट गोवर्धन सिंह को गिरफ्तार किया है। इससे पूर्व गोवर्धन सिंह की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट (rajasthan high court) की रोक लगी हुई थी। बुधवार 27 अप्रैल को हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी से रोक हटा ली। इसके तुरंत बाद जयपुर पुलिस ने हाई कोर्ट के मुख्य द्वार से एडवोकेट गोवर्धन सिंह को गिरफ्तार कर लिया और उसे सदर थाने ले जाया गया।
गोवर्धन सिंह की गिरफ्तारी के बाद एडिशनल पुलिस कमिश्नर अजय पाल लांबा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने बताया कि 3 अप्रैल 2020 को लोक डाउन के दौरान एडवोकेट गोवर्धन सिंह की गाड़ी को खासा कोठी सर्किल के पास तत्कालीन एसीपी सदर डॉ. संध्या यादव द्वारा रोका गया। लोकडाउन के दौरान बिना अनुमति के गाड़ी में लेकर घूमने पर प्रतिबंध था। इस दौरान वकील गोवर्धन सिंह एसीपी डॉ. संध्या यादव से उलझ गया। इसके बाद संध्या यादव ने सदर थाने में एडवोकेट गोवर्धन सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।
महिला अफसर संध्या यादव ने आरोप लगाया कि एडवोकेट गोवर्धन सिंह ने उन्हें आपत्तिजनक तरीके से देखते हुए अभद्र भाषा का प्रयोग किया। साथ ही देख लेने की धमकी दी। डॉ. संध्या यादव ने यह भी आरोप लगाया कि एडवोकेट गोवर्धन सिंह ने सोशल मीडिया के फेसबुक पेज पर महिला गरिमा के विरुद्ध आपत्तिजनक एवं व्यक्तिगत टिप्पणियां करते हुए अभद्र भाषा का प्रयोग किया। अलग-अलग दिन सोशल मीडिया पर ऐसी आपत्तिजनक पोस्टें वायरल की।
महिला पुलिस अफसर डॉ संध्या यादव द्वारा मुकदमा दर्ज कराए जाने के बाद चार अलग-अलग पुलिस अफसरों ने इस प्रकरण की जांच की। सबसे पहले एसीपी प्रमोद स्वामी ने इस मामले की जांच की, जिसमें आरोपी गोवर्धन सिंह को दोषी पाया गया। इसके बाद इसकी जांच क्राइम ब्रांच की एडिशनल एसपी सरिता बडगूजर को दी गई। उन्होंने भी अपनी जांच में एडवोकेट गोवर्धन सिंह को दोषी माना। इन दोनों जांचों को गलत बताते हुए गोवर्धन सिंह ने पुलिस मुख्यालय में अपील करके अन्य अधिकारी से जांच कराने की मांग की, तो इस प्रकरण की जांच एडिशनल एसपी अशोक चौहान को दी गई। अशोक चौहान ने भी प्रमोद स्वामी और सरिता बडगूजर की जांच रिपोर्ट को सही मानते हुए गोवर्धन सिंह को आरोपी माना। बाद में एडिशनल एसपी करण शर्मा से इस मामले की जांच करवाई गई। उन्होंने भी गोवर्धन सिंह को दोषी माना। चार वरिष्ठ अफसरों द्वारा जांच में दोषी पाए जाने पर गिरफ्तारी के डर से एडवोकेट गोवर्धन सिंह ने हाईकोर्ट में अपील की जिस पर हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। 27 अप्रैल बुधवार को जैसे ही गिरफ्तारी से रोक हटी तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।