अपराध

खारिज जमीन आवंटित, 72 करोड़ रुपये की जमीन को दो कौड़ी के भाव में किया आवंटित, किसी को भनक तक नहीं

सम व मूलसागर में 50 वर्ष पुराने प्रकरणों में उनके द्वारा अस्वीकृत भूमि के पुन: आवंटन को लेकर बड़ी शिकायत थी, मामला सीएमओ तक पहुंचा था, शुक्रवार को निलंबन की कार्रवाई के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, दोनों ही मामलों में तहसीलदार ने 72 करोड़ रुपये की लागत से जमीन आवंटित की

Deepak Kumawat

रिपोर्ट- राजस्व विभाग ने शुक्रवार को कार्यवाहक तहसीलदार पुष्पेंद्र पांचाल को सरकारी कार्यों में अनियमितता के आरोप में निलंबित कर दिया है, मामला जैसलमेर का है, इनके खिलाफ काफी समय से शिकायतें चल रही थीं और स्थानीय प्रशासन ने भी बड़ी शिकायतों को लेकर इनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा था।

मामला सीएमओ तक पहुंचा

सम व मूलसागर में 50 वर्ष पुराने प्रकरणों में उनके द्वारा अस्वीकृत भूमि के पुन: आवंटन को लेकर बड़ी शिकायत थी, मामला सीएमओ तक पहुंचा था, शुक्रवार को निलंबन की कार्रवाई के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, दोनों ही मामलों में तहसीलदार ने 72 करोड़ रुपये की लागत से जमीन आवंटित की।

किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी

बताया जा रहा है कि तहसीलदार ने इस हरकत को छुपाया और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी, स्थानीय स्तर पर कलेक्टर, एक्सटेंशन, इसकी जानकारी कलेक्टर व अनुमंडल पदाधिकारी को भी नहीं थी, सूत्रों के अनुसार जब मामला प्रकाश में आया तो तहसीलदार ने भूमि आवंटन के लिए जमा कराने का चालान फाड़ दिया।

जिले के नामी-गिरामी लोग भी शामिल

सूत्रों के मुताबिक इस मामले में जिले के नामी-गिरामी लोग भी शामिल थे, जानकारों के अनुसार कोई तहसीलदार बिना किसी दबाव के इतनी बड़ी कार्रवाई नहीं कर सकता और न ही सामान्य दर पर करोड़ों की जमीन दे सकता था, ऐसे में इस फर्जी आवंटन में कुछ प्रभावशाली लोग भी शामिल थे।

तहसीलदार ने मोटी रिश्वत ली

सूत्रों के अनुसार इसी क्षेत्र में 45 बीघा जमीन आवंटित की जा रही थी, उस मामले में तहसीलदार ने मोटी रिश्वत भी ली थी, ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि मूलसागर के मामले में बहुत अधिक रिश्वत ली गई होगी, जानकारी के अनुसार तहसीलदार ने मौके की सूचना पटवारी को देने के बाद आरआई को फाइल पर दस्तखत करने को कहा।

काम में दिक्क्त आने पर आरआई बदलवा लिया

लेकिन तत्कालीन आरआई ने हस्ताक्षर नहीं किए, जब उन प्रसिद्ध और प्रभावशाली लोगों को इस बारे में पता चला तो उन्होंने आरआई बदलवा लिया, इतना ही नहीं दूसरे और तीसरे आरआई ने भी साइन नहीं किया, 10 दिनों के भीतर इन लोगों ने अपने प्रभाव से तीन आरआई बदलवाए, आखिरकार चौथे आरआई ने हस्ताक्षर कर दिए और फाइल आगे बढ़ गई।

ऐसे मामलों में भूमि आवंटन का अधिकार राज्य सरकार के पास

ऐसे प्रकरणों में भूमि आवंटन का अधिकार राज्य सरकार के पास है, जानकारी के अनुसार वर्षों पुराने प्रकरणों में आवंटन राशि जमा न करने पर अस्वीकृत भूमि का पुनः आवंटन राज्य सरकार के पास है, लेकिन तहसीलदार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर अपने स्तर पर कार्रवाई की और 95 बीघा जमीन आवंटित की।

नायब तहसीलदार के पास तहसीलदार का प्रभार

इस मामले में राजनीतिक मिलीभगत भी नजर आ रही है, इसका कारण कुछ दिनों में तीन आरआई बदलना है और सबसे बड़ा सवाल यह है कि नायब तहसीलदार को इतने लंबे समय तक तहसीलदार का प्रभार क्यों दिया गया, पुष्पेंद्र पांचाल नायब तहसीलदार हैं और पिछले कई महीनों से कार्यवाहक तहसीलदार के रूप में कार्यरत थे, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसमें राजनीतिक गठजोड़ भी हो सकता है।

ये हैं दो बड़े मामले

पहला: सम में 50 साल पुराने मामले को सही मानते हुए 45 बीघा जमीन का आवंटन

खसरा नं. वर्ष 1971 में 75 बीघा भूमि 135/444 एवं 142 बीघे के आवंटन हेतु डूंगराराम/चंदनमल को आवंटन पत्र जारी कर 2500 रुपये जमा करने को लिखा था, शेष 45 बीघा जमीन जमा न होने के कारण खारिज कर दी गई, हाल ही में डूंगराराम को 45 बीघा जमीन आवंटन के लिए तहसीलदार पुष्पेंद्र पांचाल ने पत्र जारी कर 2500 रुपये के हिसाब से राशि जमा करने का निर्देश दिया है।

दूसरा: 35 साल पुराने मामले में मूलसागर में 50 बीघा जमीन का आवंटन

मूलसागर गांव का खसरा नं. वर्ष 1983 में की जाने वाली 193/152 की 50 बीघे भूमि के आवंटन के लिए भगवान राम निवासी मूलसागर को 1383 रुपये के अनुसार राशि जमा करने के लिए आवंटन पत्र जारी किया गया था लेकिन भगवान राम ने राशि जमा नहीं की और मामले को समाप्त कर दिया, भगवान राम की भी 2005 में मृत्यु हो गई थी, नियमानुसार प्रकरण को समाप्त कर देना चाहिए था, लेकिन तहसीलदार पुष्पेन्द्र पांचाल ने प्रकरण को सही मानते हुए पत्र जारी कर आवेदकों द्वारा तत्काल राशि जमा कर दी गई।

कलेक्टर और राज्य सरकार से शिकायत

इन मामलों में तहसीलदार ने अपने स्तर पर जमीन आवंटित कर दी और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी, शिकायतकर्ता सखी मोहम्मद ने इस मामले को लेकर पहले कलेक्टर और फिर राज्य सरकार को पत्र लिखा, फिर मामला सामने आया, मामला सीएमओ तक भी पहुंच गया था, शहर में चर्चा है कि कार्यवाहक तहसीलदार पुष्पेंद्र पांचाल की कार्यशैली कुछ इस तरह थी, उन्होंने कई पुराने मामलों में भूमि आवंटन किया, उनके स्तर पर कई स्थानांतरित मामलों का भी निपटारा किया गया ।

क्या किसी राजनेता का भी नाम निकलकर सामने आएगा ?

इन दोनों मामलों का खुलासा होने के बाद अब कई और चौंकाने वाले मामले भी सामने आ सकते हैं, देखना ये होगा की अब मामले में क्या नया खुलासा होगा? क्या किसी राजनेता का भी नाम निकलकर सामने आएगा ? लेकिन इन सब के बिच ये बात तो साफ़ है की कई बड़े नामी लोगो के नाम सामने आएंगे जिनकी मिलीभक्त से इस मामले को अंजाम दिया जा रहा था ।

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