अपराध

जोधपुर: प्रेमी के लिए सड़क पर दिन बीता रही है साइंस ग्रेजुएट महिला,प्रेमी ने प्रेमिका छोड़ा तो रोज शॉप के बाहर करती है उसका इंतजार

पति ने कई बार कुसुम को समझाने का प्रयास किया, फिर भी वह नहीं मानी। दुखी होकर पिछले महीने पति ने सुसाइड कर लिया था

Ranveer tanwar

राजस्थान के जोधपुर की अजब प्रेम कहानी जिसने अपने प्यार के लिए सबकुछ छोड़ दिया वह अब अपने प्यार को पाने के लिए उसकी दुकान के बाहर बैठकर सिर्फ उसे देखती रहती है। दरसल यह प्रेम कहानी इस तरह शुरू हुई की कुसुम (काल्पनिक नाम) बुक शॉप पर काम करने के लिए जॉब ज्वाइन किया और उसको उसी के मालिक से प्यार होगया कुछ दिन मालिक को भी कुसुम से प्यार था लेकिन अब मालिक ने उसको छोड़ दिया और वह अब सड़क पर आ गई है। जिस शख्स के लिए उसने अपने पति की अनदेखी की। घर-बार छोड़ा, अब उसी ने मुंह मोड़ लिया है। दुकानदार ने कुसुम का इस्तेमाल किया और अब साथ छोड़ दिया। पति ने कई बार कुसुम को समझाने का प्रयास किया, फिर भी वह नहीं मानी। दुखी होकर पिछले महीने पति ने सुसाइड कर लिया था । इधर, कुसुम जोधपुर रेलवे स्टेशन के सामने उसी किताब की दुकान के सामने दिन-रात पड़ी रहती है, जहां वह नौकरी करती थी। बस एक झलक के लिए वह रोजाना शॉप के बाहर आती है।

2 महीने पहले भी पति आश्रम आया था

पिछले 5 दिनों से रेलवे स्टेशन पर एक अच्छे परिवार की महिला को देख कुछ लोगों ने पुलिस को जानकारी दी। वह कोई और नहीं, कुसुम थी। मौके पर पहुंची पुलिस ने कुसुम को शास्त्री नगर स्थित अपना घर आश्रम भेज दिया। कुसुम पहले भी वहां रह चुकी है। वह फिर से दुकान के सामने आ जाया करती है। आश्रम के सेवादार ने बताया कि महिला का पीहर इलाहबाद में है। जोधपुर के हाउसिंग बोर्ड में ससुराल है। महिला की 10 साल पहले शादी हुई थी। कुछ साल बाद जोधपुर में ही स्टेशन के सामने एक किताब की दुकान में काम करने लगी। दुकान मालिक से प्यार हुआ तो पति का घर छोड़ दिया। दूसरी तरफ दुकान मालिक ने भी अपनाने से मना कर दिया। कुसुम अपना घर आश्रम पहुंच गई। पति कई बार आश्रम में कुसुम को साथ ले जाने पहुंचा, लेकिन उसने मना कर दिया। 2 महीने पहले भी पति आश्रम आया था। आखिर एडवोकेट पति ने पिछले महीने उदयपुर में सुसाइड कर लिया।

कुसुम: आश्रम में इसलिए नहीं रहना चाहती, क्योंकि उसे जोधपुर से भरतपुर भेज दिया जाता है

सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है की बुक शॉप पर कम्प्यूटर से बिल का काम करती थी कुसुम। वही कुसुम का कहना है की वह इलाहाबाद से अपने (पीहर) भागकर जोधपुर आ जाती हूं। इलाहाबाद में मां घर से बाहर नहीं निकलने देती। जोधपुर में ससुराल वाले नहीं रखते हैं। पति इस दुनिया में नहीं हैं। आश्रम में इसलिए नहीं रहना चाहती, क्योंकि उसे जोधपुर से भरतपुर भेज दिया जाता है। वहां मानसिक रूप से विक्षप्त महिलाओं के साथ उसे रखा जाता है। इसलिए वह वहां नहीं रहना चाहती। लेकिन अब वह जोधपुर रैलवेस्टेशन पर अपने प्रेमी को देखती है।

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