कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। आरोप है कि मनीष की मौत पुलिस की पिटाई से हुई है. इस मामले में दो बड़े मोड़ आए हैं। पहला यह कि कानपुर प्रशासन ने तड़के मनीष का अंतिम संस्कार किया। प्रशासन का कहना है कि परिवार की सहमति से यह कदम उठाया गया है। दूसरा, एक दिन पहले गोरखपुर के डीएम और एसएसपी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे मनीष की पत्नी को धमकी भरे अंदाज में केस न करने की सलाह दे रहे हैं।
मनीष की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी सामने आ गई है। इसमें मनीष के शरीर पर चोट के निशान मिले हैं। वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी पीड़ित परिवार से मिलने कानपुर पहुंच गए हैं. अखिलेश यादव ने दो करोड़ मुआवजे की मांग की है. साथ ही 20 लाख की आर्थिक सहायता दी है। अखिलेश ने कहा कि पुलिस सुरक्षा नहीं कर पा रही है लेकिन लोगों की जान ले रही है.
दोपहर में कानपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा भी है. प्रशासन ने मनीष की पत्नी मीनाक्षी को सीएम योगी से मिलने का आश्वासन दिया है. इससे पहले बुधवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी मनीष की पत्नी से फोन पर बात की थी.
सुबह मनीष के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था कि पत्नी मीनाक्षी बेहोश हो गई। मीनाक्षी एसआईटी से मामले की जांच की मांग कर रही हैं। वह मुख्यमंत्री योगी से मिलना चाहती हैं। आरोप है कि सोमवार रात गोरखपुर के होटल में ठहरे मनीष को पुलिसकर्मियों ने पीटा. उसके बाद उनकी मौत हो गई थी। मनीष का पार्थिव शरीर बुधवार सुबह नौ बजे गोरखपुर से उनके घर कानपुर लाया गया। घटना से नाराज परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। उनकी मांग थी कि वह सीएम योगी से मिलें, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करें और मुआवजा लेने के बाद ही अंतिम संस्कार करें.
बुधवार को सामने आए वीडियो में गोरखपुर के डीएम और एसएसपी मीनाक्षी और उनके परिवार को किसी भी हाल में मामला दर्ज नहीं करने की सलाह देते नजर आ रहे हैं. यह बीआरडी मेडिकल कॉलेज पुलिस चौकी पर बनाया गया एक वीडियो था। इसमें मीनाक्षी 4 साल के मासूम बेटे को गोद में लेकर डीएम विजय किरण आनंद और एसएसपी डॉ. विपिन टाडा से पति की मौत के मामले में न्याय की मांग कर रही है.
मीनाक्षी ने वीडियो की पुष्टि करते हुए कहा कि मंगलवार रात 8 से 12 बजे तक अधिकारियों और परिवार की दो बार मुलाकात हुई. इसमें डीएम विजय किरण आनंद और एसएसपी डॉ. विपिन टाडा ने किसी भी हाल में मामला दर्ज न करने की 'सलाह' दी।
मीनाक्षी का आरोप है कि इस मामले में जितने दोषी रामगढ़ताल थाने के पुलिसकर्मी हैं, उतने ही दोषी एसएसपी डॉ. विपिन टाडा और डीएम विजय किरण आनंद भी हैं, जिन्होंने एक विधवा महिला की मदद करने के बजाय हत्यारे पुलिसकर्मियों को बचाने में लगे है।
मृतक मनीष के बहनोई आशीष गुप्ता ने बताया कि मीनाक्षी के साथ वह भी मौजूद था। मीनाक्षी भाभी ने सरकारी नौकरी की मांग करते हुए कहा था कि अब उनकी और उनके बेटे की देखभाल कौन करेगा? इस पर अधिकारी समझाते रहे कि मनीष ने कोई सरकारी नौकरी नहीं की, जो मिलेगा?
आशीष ने बताया कि अधिकारियों ने माना कि उन्हें पता था कि गलती पुलिस की है, लेकिन आपका एक मामला 6 पुलिसकर्मियों के परिवार को बर्बाद कर देगा। इससे कुछ हासिल नहीं होगा। इस पर मीनाक्षी ने अफसरों से पूछा कि जिसने मेरी जिंदगी बर्बाद की है उसका क्या होगा? तो अधिकारियों ने पलटवार करना शुरू कर दिया।
वहीं डीएम वीडियो में कहते दिख रहे हैं कि मैं आपके भाई जैसा हूं. एक बार मामला दर्ज हो जाने के बाद, आपको पता नहीं आपको सालों तक अदालत के चक्कर काटने पड़ेंगे। इससे किसी को कुछ हासिल नहीं होता। साल बीत जाएंगे। वहीं एसएसपी यह कहते नजर आ रहे हैं कि पुलिसकर्मियों की मनीष से कोई दुश्मनी नहीं थी, जो ऐसा करेगे. मैंने आपके अनुरोध पर उन्हे निलंबित कर दिया। क्लीन चिट मिलने तक उन्हें बहाल नहीं किया जाएगा। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ का फोन आने के बाद इस मामले में सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया.
यहां कानपुर से घूमने आए मनीष गुप्ता (35) नाम के युवक को रामगढ़ ताल पुलिस ने पीट-पीट कर मार डाला। उसका कसूर सिर्फ इतना था कि आधी रात को उसने होटल में चेक करने पहुंची पुलिस से पूछा कि यह चेकिंग का क्या तरीका है? क्या हम लोग आतंकवादी हैं?
आरोप है कि इसके बाद इंस्पेक्टर रामगढ़ताल जेएन सिंह और फल मंडी चौकी प्रभारी अक्षय मिश्रा भड़क गए। दोनों ने होटल में कमरा बंद कर मनीष को जमकर पीटा। मनीष की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। पुलिस ने शुरू में मामले को दबाने का प्रयास किया। लेकिन मामला सामने आने के बाद एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने रामगढ़ताल निरीक्षक जेएन सिंह, फलमंडी चौकी प्रभारी अक्षय मिश्रा और 4 आरक्षक समेत कुल 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है.
दरअसल, गोरखपुर निवासी चंदन सैनी ने बताया कि वह बिजनेस करता है। उसके तीन दोस्त गुरुग्राम के प्रदीप चौहान (32) और हरदीप सिंह चौहान (35) और कानपुर से मनीष गुप्ता (35) गोरखपुर घूमने आए थे। चंदन के मुताबिक, सभी दोस्त रियल एस्टेट और अन्य कारोबार करते हैं।
चंदन हमेशा अपने दोस्तों को गोरखपुर में हो रहे विकास के बारे में बताता रहता था. दोस्तों बहुत दिनों से प्लान कर रहे थे कि वो एक बार गोरखपुर घूमने जरूर आएंगे। लॉकडाउन के कारण पहले नहीं आ सके। इसी बीच तीनों का गोरखपुर घूमने का प्लान बनाया गया। सोमवार को तीनों अपने दोस्त चंदन सैनी से मिलने और घूमने गोरखपुर पहुंचे।
चंदन ने रामगढ़ ताल क्षेत्र में एलआईसी भवन के पास स्थित होटल कृष्णा पैलेस के कमरा नंबर 512 में दोस्तों को ठहराया था। आरोप है कि सोमवार रात करीब 12.30 बजे रामगढ़ ताल पुलिस चेकिंग के लिए होटल पहुंची. इंस्पेक्टर जेएन सिंह, इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा के अलावा थाने के अन्य बल एक साथ थे। होटल के कमरे का दरवाजा खटखटाया। पुलिस के साथ होटल के रिसेप्शनिस्ट भी था। पुलिसवालों ने कहा कि चेकिंग चल रही है. सभी अपना आईडी प्रूफ दिखाएं।
तीनों में हरदीप ने अपनी और साथी प्रदीप चौहान की आईडी दिखाई। मनीष सो रहा था। प्रदीप उसे आईडी दिखाने के लिए नींद से जगाता है। इस पर प्रदीप ने वहां मौजूद पुलिसकर्मियों से बात की कि ये रात में क्या चेकिंग हो रही है. क्या हम आतंकवादी हैं? आप सोए हुए व्यक्ति को उठाकर परेशान कर रहे हैं। आरोप है कि इसी पर पुलिसकर्मी भड़क गए। पुलिसकर्मी नशे में थे।
इसी बात को लेकर इंस्पेक्टर जेएन सिंह और अक्षय मिश्रा ने उनकी पिटाई शुरू कर दी। चंदन के मुताबिक हम दोनों को पीटा और कमरे से बाहर ले गये. कुछ देर बाद देखा गया कि पुलिस मनीष गुप्ता को खींचकर बाहर ले आई, वह खून से लथपथ था। इसके बाद पुलिस मनीष को अस्पताल ले गई। जहां उसकी मौत हो गई।
जब पुलिसकर्मी फिर आए तो सभी ने अपनी नेम प्लेट हटा दी थी। चंदन सैनी ने बताया कि मृतक मित्र कानपुर का रहने वाला है. घटना की सूचना उनके परिवार को दे दी गई है। परिवार के लोग गोरखपुर पहुंचे। मनीष अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। 5 साल पहले ही उसकी शादी हुई थी। परिवार में बीमार पिता और पत्नी के अलावा उनका एक 4 साल का मासूम बेटा है। कुछ दिन पहले मां का निधन हो गया।