जम्मू-कश्मीर में दो नागरिकों की हत्या की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपने की खबर आ रही है। हालांकि इस संबंध में अभी तक कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। वहीं टारगेट किलिंग से घाटी में फैली दहशत को देखते हुए सरकार ने पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित इस नई साजिश को कुचलने के लिए बहुस्तरीय रणनीति तैयार की है। सीमा पार से आकाओं के नेटवर्क को तोड़ने के लिए, सुरक्षा बल घाटी भर में हाइब्रिड आतंकवादियों और उनके सहयोगियों पर हमला करेंगे। इस महीने के दौरान जम्मू-कश्मीर में अब तक 11 नागरिकों की मौत हो चुकी है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन हत्याओं के पीछे की बड़ी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए एनआईए को आदेश दिया है और अब एनआईए इससे जुड़े चारों मामलों को जम्मू-कश्मीर पुलिस से अपने हाथ में लेगी। हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों की उच्च स्तरीय बैठक में रणनीति को अंतिम रूप देते हुए टारगेट किलिंग की घटनाओं को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के निर्देश दिए गए हैं।
इसके तहत पुलिस ने व्यापक छापेमारी करते हुए दक्षिण और मध्य कश्मीर से एक हजार से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें से कई पर पीएसए लगाया गया है। रविवार को राज्य के बाहर एक दर्जन से अधिक पथराव करने वालों को जेल भेजा गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्राथमिकता टारगेट किलिंग को रोकना और लोगों में दहशत का माहौल कम करना है।
हत्या की ताजा घटना रविवार को हुई, जब कुलगाम जिले के वानपोह इलाके में बिहार के दो मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। तीसरा मजदूर घायल हो गया। इससे एक दिन पहले बिहार के एक गोलगप्पे विक्रेता और उत्तर प्रदेश के एक बढ़ई की घाटी में मौत हो गई थी। पुलिस के मुताबिक, गोलगप्पा विक्रेता अरविंद कुमार साह को श्रीनगर में पास से गोली मारी गई, जबकि बढ़ई सगीर अहमद की पुलवामा में मौत हो गई। हाल ही में मारे गए 11 नागरिकों में से पांच अन्य राज्यों से जम्मू-कश्मीर आए थे।
एक अधिकारी के मुताबिक, इन घटनाओं से संकेत मिलता है कि आतंकवादी दूसरे राज्यों के लोगों को निशाना बना रहे हैं। इन घटनाओं के अन्य पीड़ितों में श्रीनगर में एक प्रसिद्ध कश्मीरी पंडित और दवा की दुकान के मालिक माखन लाल बिंदू, एक टैक्सी चालक मोहम्मद शफी लोन, शिक्षक दीपक चंद और सुपिंदर कौर और स्ट्रीट फूड विक्रेता वीरेंद्र पासवान शामिल हैं।