ISIS आतंकियों की भर्ती पर बोलते हुए, विजयन ने खुलासा किया, "सरकार ने तथ्यों की पुष्टि की है कि ISIS में शामिल होने वाले 100 मलयाली में से 72 पेशेवर उद्देश्यों के लिए विदेश गए थे, लेकिन ISIS की विचारधारा से आकर्षित हो गए और इसमें शामिल हो गए। 72 में से केवल एक हिंदू था जबकि अन्य मुस्लिम समुदाय से थे।"
उन्होंने आगे कहा, "अन्य 28 ने विचारधारा से आकर्षित होने के बाद विशेष रूप से ISIS में शामिल होने के लिए केरल छोड़ दिया था। 28 में से केवल पाँच को अन्य धर्मों से इस्लाम में परिवर्तित किया गया था।'
गौरतलब है कि 2019 में कई मीडिया रिपोर्ट में सुरक्षा एजेंसियों के हवाले से ISIS में शामिल हुए केरल के लोगों की फोटो और जानकारियां सामने आयी थी।
इसके अलावा, बिशप द्वारा 'नारकोटिक्स जिहाद' पर लगाए गए आरोपों को निराधार साबित करने के लिए , CM ने ड्रग्स पर सरकारी आँकड़ों का जिक्र करते हुए दावा किया कि नशीले पदार्थों की अवैध तस्करी और धर्म के बीच कोई संबंध नहीं है ।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बताया, "2020 में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस) 1985 अधिनियम के तहत, केरल में 4,941 मामले दर्ज किए गए थे। 5,422 आरोपितों में से 2700 (49.80 फीसदी) हिंदू थे, 1869 (34.47 फीसदी) मुस्लिम थे और 853 (15.73 फीसदी) ईसाई थे।"
आगे तर्क देते हुए, विजयन ने कहा, "अनुपात यह नहीं बताता है कि नशीले पदार्थों की तस्करी किसी विशेष मजहब पर आधारित है। साथ ही, जबरन नशीली दवाओं के इस्तेमाल से धर्म परिवर्तन का अब तक कोई मामला प्रकाश में नहीं आया ।"
असल मे कि इस महीने की शुरुआत में ही, सिरो-मालाबार चर्च के पाला सूबा के बिशप मार जोसेफ कल्लारंगट ने एक बयां जारी कर कहा था कि केरल के युवा ईसाई लड़कों और लड़कियों को न केवल 'लव जिहाद' के लिए बल्कि 'नारकोटिक्स जिहाद' के लिए भी टारगेट किया जा रहा है।