राजस्थान में एक तरफ NIA कन्हैयालाल हत्याकांड जाँच कर रही है और दूसरी और धमकियों का सिलसिला जारी है। अब तक आम लोगो को धमकिया मिल रही थी लेकिन अब राज्यसभा सांसद को जान से मारने की धमकी मिली है। इस बीच NIA की जाँच आखिर की किस दिशा में चल रही है। कौन लोग है ये जो पत्र लिखकर धमकी दे रहे है। यहाँ कई बड़े सवाल खड़े होते है। और सवाल भी इन जाँच एजेंसी को कटघरे में खड़ा करती है। धमकी देने वाले पुलिस की गिरफ्त से दुर क्यों ? जाँच एजेंसी आखिर पत्र लिखकर धमकी देने वालो को क्यों पकड़ नहीं पा रही सोशल मीडिया पर बड़ी तादात में लोग मेसेज वायरल कर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे है। राजधानी जयपुर में तक़रीबन एक साल पहले का विवादित वीडियो को हाल ही में वायरल किया गया जिससे सांप्रदायिक माहौल बिगड़ सकता था। लेकिन वीडियो कहा से वायरल हुआ किसने किया और ऐसे समय में उस वीडियो को वायरल किया जहा देश में अराजकता का माहौल है। फ़िलहाल पुलिस और जाँच एजेंसी इन्वेस्टीगेशन कर रही है।
वही उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड (Kanhaiya Lal Murder) के बाद NIA लगातार जांच कर रही है। राजस्थान के एक बड़े समाचार पत्र ने यह दावा किया की NIA देश में 40 लोगो को तलाश कर रही है। जिनका सम्पर्क सीधा रियाज़ अत्तारी से था। और यह 40 लोग एक बड़े मिशन पर थे जिन्हे देश में नूपुर शर्मा के समर्थन करने वालो का सर कलम करना था। वही आरोपियों से पूछताछ के बाद हत्याकांड के अजमेर से लेकर पाकिस्तान से कनेक्शन सामने आए हैं। वहीं एनआईए को पाकिस्तान की स्लीपर सेल का भी पता चला है। जांच एजेंसियों को अभी तक की तफ्तीश में पता चला है कि हत्याकांड के मुख्य आरोपियों के साथ राजस्थान के 11 जिलों में आतंक के स्लीपर सेल (Sleeper Cells) के बारे में जानकारी मिली है।
कन्हैया हत्याकांड की एनआईए जांच को राजस्थान पुलिस की एटीएस और एसओजी सहयोग कर रही है लेकिन एटीएस अभी तक सूबे में पनप रहे किसी भी आतंक के नेटवर्क (Terrorist Network) का पता नहीं लगा पाई है। मिली जानकारी के मुताबिक कन्हैया हत्याकांड के बाद केंद्रीय एजेंसियों को पता चला है कि उदयपुर, प्रतापगढ़, चित्तौड़, अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, कोटा, करौली, जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर में कई स्लीपर सेल सक्रिय हैं लेकिन एटीएस इनका पर्दाफाश करने में नाकाम रही है।
एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र की पड़ताल में सामने आया है कि राज्य की जांच एजेंसी एटीएस ने पिछले 3 सालों में अवैध डीजल, परीक्षा में नकल और कालाबाजारी जैसे मामलों में कार्रवाई की है। वहीं आतंकियों के किसी सक्रिय नेटवर्क को खंगालने में कोई सफलता हासिल नहीं हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक बीते सालों में एटीएस की ओर से अवैध हथियार और हवाला के मामलों में तेजी से कार्रवाई हुई लेकिन किसी भी घटना में एटीएस को आतंकी कनेक्शन का पता नहीं चला. मालूम हो कि साल 2008 में जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम बलास्ट के बाद ही तत्कालीन सरकार ने एटीएस का गठन किया था जिसका मुख्य काम था राज्य में आतंकी नेटवर्क का पता लगाना ताकि किसी भी तरह की आतंकी गतिविधि को रोका जा सके लेकिन इसके बावजूद उदयपुर की घटना इंटेलिजेंस फेलियर का साक्षात उदाहरण है।
बता दें कि कन्हैयालाल हत्या के मुख्य आरोपी रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद काफी समय से पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क से जुड़े हुए थे और यहां कई लोगों का ग्रुप तैयार किया था लेकिन एटीएस को इसका पता नहीं चला।