केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 41 आयुध कारखानों को सात कॉरपोरेट कंपनियों में बदलने का फैसला किया है. इसके साथ ही आयुध निर्माण बोर्ड का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा। आयुध कारखानों में काम करने वाले लगभग 70,000 कर्मचारियों को सात नई कॉर्पोरेट कंपनियों में समायोजित किया जाएगा। शुरुआत में उन्हें नई कंपनियों में दो साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाएगा।
यह फैसला बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई
कैबिनेट की बैठक में लिया गया। कैबिनेट ने इस मुद्दे पर राजनाथ
सिंह की अध्यक्षता में मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह की सिफारिशों
को मंजूरी दी। सूत्रों के मुताबिक, जो सात कॉरपोरेट कंपनियां बनेंगी, वे पूरी तरह से सरकारी होंगी और आयुध कारखानों के मौजूदा कर्मचारियों के हितों को कोई नुकसान नहीं होगा। आयुध कारखानों का समायोजन नई कंपनियों में उनके कार्य के अनुसार किया जाएगा।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक जिन सात कंपनियों का गठन होगा उनमें से एक गोलाबारूद और विस्फोटक समूह की होगी। इस तरह के उत्पादन में लगे सभी ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों का इसमें विलय कर दिया जाएगा। दूसरी कंपनी वाहन समूह की होगी, जिसमें टैंक, सुरंग रोधी वाहन आदि बनाने वाली फैक्ट्रियों का विलय किया जाएगा। तीसरा समूह हथियार और उपकरण होगा। इसमें छोटे, मध्यम और बड़े क्षमता वाले हथियारों का निर्माण करने वाली फैक्ट्रियां शामिल होंगी। चौथी कंपनी सैन्य उपकरण बनाने वाली होगी, ट्रूप कंपफर्ट आइटम ग्रुप होगा। पांचवां समूह एनसिलरी ग्रुप होगा, छठा ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स ग्रुप होगा और सातवां पैराशूट ग्रुप होगा। इस तरह सभी 41 फैक्ट्रियों को उनकी रक्षा उत्पादन सामग्री के अनुसार इन सात कंपनियों में बदल दिया जाएगा।
सरकार ने कहा कि आयुध कारखानों को कॉरपोरेट कंपनियों में बदलने पर लंबे समय से विचार किया जा रहा था और आखिरकार काफी विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया है. इससे उनकी क्षमता बढ़ेगी, उत्पादन बढ़ेगा और उत्पादों की लागत कम करना भी संभव होगा। उन्हें नए प्रकार और हथियारों की गुणवत्ता के उत्पादन को बढ़ाने का भी अवसर मिलेगा। निर्यात बढ़ेगा और वे बाजार में प्रतिस्पर्धी भूमिका में आ सकेंगे।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि इन कंपनियों का प्रबंधन कॉरपोरेट कंपनियों की तरह काम करेगा और प्रबंधन में बाजार के विशेषज्ञ तैनात किए जाएंगे। नई कंपनियों के गठन पर निवेश को लेकर कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि जो भी जरूरत होगा वह किया जाएगा. जल्द ही रक्षा मंत्रालय सभी सात कंपनियों के निदेशकों की नियुक्ति करेगा।