न्यूज़- चीन और भारत के बीच टकराव अब हिंसक हो गया है। मंगलवार को आई खबरों के अनुसार, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के साथ मुठभेड़ में भारतीय सेना के एक कमांडिंग ऑफिसर (CO) रैंक के अधिकारी सहित दो सैनिक मारे गए। साथ ही चीन ने यह भी माना है कि इस हिंसा में उसे कुछ सैनिकों को नुकसान उठाना पड़ा है। चीनी सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के संपादक की ओर से ट्वीट कर कहा कि चीनी सैनिक मारे गए हैं।
'जो मुझे मालूम है उसके आधार पर बता रहा हूं कि चीनी पक्ष को भी गलवान इलाके में हुई हिंसा में सैनिकों की जान का नुकसान उठाना पड़ा है।' उन्होंने हालांकि यह नहीं बताया कि कितने चीनी सैनिकों की मौत हुई है। लेकिन भारत को चेतावनी दे डाली। उन्होंनं लिखा, 'मैं भारतीय पक्ष को बताना चाहूंगा कि किसी भी तरह से अज्ञानी और भ्रम में न रहे। चीन के नियंत्रण को उसकी कमजोरी न समझिए। चीन, भारत के साथ हिंसा नहीं चाहता है लेकिन हमें इससे डर नहीं लगता है।'
चीन को भी अपने कुछ जवानों को नुकसान झेलना पड़ा है। सूत्रों की मानें तो दोनों तरफ से कोई भी गोली नहीं चली है लेकिन पत्थरबाजी में एक ऑफिसर समेत दो जवान शहीद हो गए हैं। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव सांतवें हफ्ते में पहुंच गया है और कई दौर की वार्ता इस टकराव को खत्म करने को लेकर हो चुकी है। अभी तक कोई भी समाधान नहीं निकल सका है। चीन के कितने जवान मारे गए हैं, इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। लेकिन सूत्रों की मानें तो पीएलए के 5 से 6 जवानों की जान गई है।
चीन के विदेश मंत्रालय से पूछा गया था कि चीनी सैनिकों के साथ झड़प में भारतीय सेना को नुकसान उठाना पड़ा है। इस पर, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत को इस मुद्दे को जटिल नहीं बनाने और न ही एकतरफा कार्रवाई करने की चेतावनी दी। प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा, "चीन ने भारत का गंभीर प्रतिनिधित्व किया है और विरोध दर्ज कराया है। हम भारत से उचित समझौते का पालन करने और अपनी सीमावर्ती सैनिकों को संयमित रखने की पुरजोर मांग करते हैं। उन्हें किसी भी मामले में सीमा पार नहीं करनी चाहिए।"
इंडियन आर्मी के जवान सीमा को पार कर, चीनी जवानों को निशाना बना रहे हैं। ग्लोबल टाइम्स ने चीन के विदेश मंत्री के हवाले से लिखा है कि भारत और चीन दोनों ही द्विपक्षीय मुद्दों को बातचीत के जरिए सुलझाने, बॉर्डर पर तनाव को कम करने और सीमाई इलाके में शांति और स्थिरता कायम करने पर राजामंद हुए थे। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर करीब पांच दशक बाद हालात इतने तनावपूर्ण बने हैं। सन् 1962 में हुई जंग में दोनों देश आमने-सामने थे। इस संकट के बीच ही दोनों पक्षों के सीनियर मिलिट्री ऑफिसर्स मीटिंग कर रहे हैं ताकि हालात को नियंत्रण में किया जा सके।
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