Defence

जिस अमेरिका के MQ-1 प्रीडेटर ड्रोन को भारतीय नौसेना खरीदने जा रही वो है कितना खतरनाक ?

घातक मिसाइलों से लैस ये ड्रोन लंबे समय तक समुद्र में निगरानी कर सकते हैं, इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर इसमें मौजूद मिसाइलें दुश्मन के जहाजों या ठिकानों को भी निशाना बना सकती हैं

Deepak Kumawat

डेस्क न्यूज़- चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरों के बीच भारतीय नौसेना हिंद महासागर में MQ-1 प्रीडेटर ड्रोन की 30 यूनिट खरीदने की योजना बना रही है,

घातक मिसाइलों से लैस ये ड्रोन लंबे समय तक समुद्र में निगरानी कर सकते हैं,

इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर इसमें मौजूद मिसाइलें दुश्मन के जहाजों या ठिकानों को भी निशाना बना सकती हैं,

इस ड्रोन को प्रीडेटर सी एवेंजर या RQ-1 के नाम से भी जाना जाता है,

चीन के विंग लॉन्ग ड्रोन-2 की हमलावर ताकत को देखते हुए नौसेना को ऐसे खतरनाक ड्रोन की काफी जरूरत महसूस हो रही है।

निशाने पर सटीक निशाना लगाने में माहिर है

प्रीडेटर सी एवेंजर में टर्बोफैन इंजन और स्टील्थ एयरक्राफ्ट की सभी विशेषताएं हैं, यह अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाता है,भारतीय सेना फिलहाल इस्राइल से खरीदे गए ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन लड़ाकू विमानों की रफ्तार से उड़ते हैं, ये ड्रोन मिलने के बाद भारत न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि चीन पर भी आसानी से नजर रख सकेगा, सर्विलांस सिस्टम के मामले में भारत इन दोनों देशों से काफी आगे निकल जाएगा।

3000 किमी तक उड़ सकता है

नया प्रीडेटर अपने बेस से टेकऑफ़ के बाद 1,800 मील (2,900 किमी) की उड़ान भर सकता है, मतलब अगर इसे मध्य भारत के किसी एयरबेस से ऑपरेट किया जाता है तो यह जम्मू-कश्मीर में चीन और पाकिस्तान की सीमा पर नजर रख सकता है, यह ड्रोन 50 हजार फीट की ऊंचाई पर 35 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है, इसके अलावा यह ड्रोन 6500 पाउंड के पेलोड के साथ उड़ान भर सकता है।

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