Defence

लद्दाख सीमा पर हमारी सैना की तैयारी : लड़ाकू विमान, तोप और टैंक के साथ मुस्तैद

लद्दाक में LAC से सटे इलाकों में भारी हथियार पहुचाए जा रहे, हथियारों से लेस जवानों के काफिले लगातार एलएसी की ओर जा रहे

Dharmendra Choudhary

डेस्क न्यूज़ – भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव को कम करने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है, वहीं भारत चीन की सभी कार्रवाइयों का मुंहतोड़ करारा जवाब देने की ज़ोरो से तैयारी कर रहा है।

साजिश को नष्ट करने के लिए भारत की आसमान पर नजर

लद्दाख के बाहरी इलाके में दुश्मनों की साजिश को नष्ट करने के लिए भारत की आसमान पर नजर है। इसी तरह भारी हथियारों को LAC से सटे इलाकों में पहुंचाया जा रहा है। सेना के जवानों और हथियारों को ले जाने वाले वाहनों का काफिला लगातार एलएसी की ओर जा रहा है।

सीमा पर तैनात किया "हेरॉन-टीपी लड़ाकू ड्रोन"

इजरायल में बने हेरॉन टीपी का इस्तेमाल एलएसी पर चीन की साजिश पर नजर रखने के लिए किया जा रहा है। लद्दाख के ऊंचे पहाड़ों, कठिन दर्रे और ऊफनती दरिया के बीच इस ड्रोन की मदद से चीन के इंच-दर-इंच प्लॉट की निगरानी की जा रही है।

भारत ने इजरायल से हेरॉन-टीपी लड़ाकू ड्रोन खरीदा है। अब यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि लद्दाख के उच्च और कठिन पहाड़ी क्षेत्रों में हेरोन-टीपी ड्रोन भारतीय सेना के लिए कैसे मददगार साबित हो सकता है।

हेरॉन-टीपी लड़ाकू ड्रोन की खासियत

हेरॉन-टीपी लड़ाकू ड्रोन पूरी तरह से स्वचालित हैं।

एक टन से अधिक भारी विस्फोटक लेकर उड़ सकता है।

370 किमी की रफ्तार से उड़ान भरकर हमला कर सकता है।

हेरॉन टीपी ड्रोन को कंट्रोल रूम से संचालित किया जा सकता है।

किसी भी मौसम में आसानी से मिशन कर सकते हैं।

बगुले-टीपी ड्रोन से कही भी खुफिया निगरानी की जा सकती है।

ख़राब मौसम में बिना किसी नुकसान के कर सकता है हमला 

खतरनाक हेरॉन-टीपी ड्रोन एक लड़ाकू विमान नहीं है लेकिन किसी लड़ाकू विमान से कमज़ोर भी नहीं है। जो भी मौसम का मिजाज हो, वह हमेशा ऑपरेशन के लिए तैयार रहता है – चाहे वह दो पहाड़ों के बीच की संकरी घाटियों में दुश्मन के ठिकानों पर बिजली की रफ़्तार से हमला करना हो या बिना किसी नुकसान के उन ठिकानों की जानकारी जुटाना।

लद्दाख की धरती ऐसी है कि सैनिकों को कुछ किलोमीटर दूर जाने में घंटों का समय लग जाते हैं। इस कारण यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है की पहाड़ी की दूसरी तरफ क्या साज़िश चल रही है। और इसी वजह से लद्दाक की सीमा पर हेरॉन-टीपी ड्रोन से निगरानी की जा रही है।

यह ड्रोन एक बार में 36 घंटे तक उड़ान भर सकता है

यह ड्रोन लेजर गाइडेड बम और आसमान से जमीन में हमला करने वाली मिसाइलों से लैस है।

ड्रोन 1000 किमी तक वार करने की योग्यता रखता है

इसमें अत्याधुनिक कनेक्टिविटी सिस्टम और GPS है।

ऐसी स्थिति में, चीन के पहाड़ों की चोटियों से गहरी खाइयों तक जाने वाली हर साजिश की खबर भारतीय सेना को हेरोन टीपी ड्रोन के जरिए मिलती है। सरकार ने सेना को एलएसी पर कार्रवाई की खुली छूट दे दी है। ऐसे में अगर सेना को चीन की किसी बड़ी साजिश की भनक लग जाती है, तो इस ड्रोन की मदद से बिना किसी नुकसान के साजिश को नाकाम किया जा सकता है।

मदद के लिए C-17 ग्लोबमास्टर भी तैनात 

यही नहीं, भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान दिन-रात लद्दाख के आसमान पर नज़र रखे हुए है, और दुनिया के सबसे बड़े मालवाहक जहाजों में से एक सी -17 ग्लोबमास्टर को सीमावर्ती क्षेत्रों में भारी हथियार, तोप और जवानों को पहुंचाने के लिए तैनात कर दिया है।

इस काम में, रूस से IL-76 विमान भी LAC से सटे इलाकों में तोप और अन्य भारी हथियारों को ले जाने में लगे हुए हैं। भारत ने लद्दाख में सरफेस टू एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैनात किया है।

MiG-29 फाइटर जेट को लेह एयर बेस पर, सुखोई, मिराज 2000 और तेजस को भी तैनात किया गया 

ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हमला करने की क्षमता वाले अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर को भी लेह एयर बेस पर तैनात किया गया है।

इतना ही नहीं, पहाड़ी लड़ाई में बहुत प्रभावी M 777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोप को भी तैनात किया है। साथ ही टी -90 टैंक और बोफोर्स तोप को भी तैनात किया है। ताकि चीन के हर सवाल को LAC को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।

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