भारत ने रूसी रक्षा प्रणाली एस-400 की तैनाती की तैयारी शुरू कर दी है। भारतीय वायु सेना अगले महीने पंजाब एयरबेस पर दुनिया की सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणाली की पहली खेप तैनात करेगी। इस रक्षा प्रणाली को विशेष रणनीति के तहत पंजाब प्रांत में तैनात किया जा रहा है। यहां से चीन और पाकिस्तान की सीमा पर किसी भी नापाक कोशिश को नाकाम किया जा सकता है। S-400 एक वायु रक्षा प्रणाली है।
यह रक्षा प्रणाली हवा के माध्यम से किसी भी हमले को रोकती है। यह मिसाइल, ड्रोन, रॉकेट लॉन्चर और दुश्मन देशों के फाइटर जेट्स के हमले को रोकने में कारगर है। इसे रूस के अल्माज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है। इसकी गिनती दुनिया की सबसे आधुनिक वायु रक्षा प्रणालियों में होती है। भारत और रूस के बीच 2018 में S-400 की पांच यूनिट के लिए करीब 40 हजार करोड़ रुपए का सौदा हुआ था।
1- भारतीय सेना ने कहा कि इस रक्षा मिसाइल प्रणाली की तैनाती की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पांच स्थानों पर वायु रक्षा प्रणाली की तैनाती संभव है। सेना का कहना है कि इस काम को पूरा करने में कम से कम छह हफ्ते और लगेंगे। इस प्रणाली की पहली रेजिमेंट को इस तरह से तैनात किया जा रहा है कि यह उत्तरी सेक्टर में चीन की सीमा के कुछ हिस्सों में पाकिस्तानी सीमा की निगरानी भी कर सके। यह 600 किमी दूर तक दुश्मन की मिसाइलों को निशाना बना सकता है। यह रक्षा प्रणाली 400 किमी तक दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट करने की क्षमता रखती है।
2- एस-400 दुनिया का सबसे आधुनिक डिफेंस सिस्टम है । इस सिस्टम में चार अलग अलग रेंज वाली मिसाइल्स लगती हैं । जिनकी रेंज क्रमशः 40 किमी ,120 किमी ,250 किमी और 400 किमी है । रूस में निर्मित यह हथियार अपनी श्रेणी में दुनिया का सबसे बेहतरीन हथियार माना जाता है ।
3- यह एक वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली है, जो दुश्मन के विमानों को आसमान से मार गिरा सकती है। यह दुश्मन के क्रूज, विमान और बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। यह सिस्टम रूस के S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है। यह एक ही राउंड में 36 स्ट्राइक करने में सक्षम है। भारतीय सेना में शामिल होने के बाद सीमाओं की सुरक्षा अधिक होती है और हमले का खतरा कम होता है। यह सिस्टम किसी भी संभावित हवाई हमले का पहले ही पता लगा लेता है। इससे दुश्मन की मंशा का पहले ही पता चल जाता है और सेना आसानी से सतर्क हो जाती है।
4- यह एक वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली है, जो दुश्मन के विमानों को आसमान से मार गिरा सकती है। यह दुश्मन के क्रूज, विमान और बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। यह सिस्टम रूस के S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है। यह एक ही राउंड में 36 स्ट्राइक करने में सक्षम है। भारतीय सेना में शामिल होने के बाद सीमाओं की सुरक्षा अधिक होती है और हमले का खतरा कम होता है। यह सिस्टम किसी भी संभावित हवाई हमले का पहले ही पता लगा लेता है। इससे दुश्मन की मंशा का पहले ही पता चल जाता है और सेना आसानी से सतर्क हो जाती है।
5- अगर बात करें लक्ष्य का पीछा करने की तो एस-400 सिस्टम का रडार एक साथ 100 से 300 टार्गेट्स को एक साथ लोकेट करके उनको ट्रैक कर सकता है । इस सिस्टम की ट्रैकिंग लगभग 600 किलोमीटर तक की है । इस सिस्टम की मारक छमता 30 किलोमीटर की ऊंचाई तथा 400 किलोमीटर की दूरी तक की है । एक वक्त पर 400 किमी तक 36 लक्ष्यों को एक साथ मार गिरा सकती है । इस सिस्टम को तैनात करने में महज 5 मिनट का वक्त लगता है । इसमें कुल 12 लांचर होते हैं जिससे एक साथ 3 मिसाइल दागे जा सकते हैं ।
1- अक्टूबर के महीने में चीन ने स्वदेशी तकनीक पर विकसित उच्च से मध्यम वायु रक्षा प्रणाली HQ-9 पाकिस्तान को सौंप दी। इस प्रणाली में लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं। इस मिसाइल सिस्टम को चाइना प्रिसिजन मशीनरी इम्पोर्ट एंड एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन ने विकसित किया है। इसकी लंबाई 6.8 मीटर और वजन 2000 किलो तक है। यह हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल, हेलीकॉप्टर, विमान, मानव रहित विमान, निर्देशित बम और सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल जैसे कई खतरों को रोक सकता है।
HQ-9 MISSILE SYSTEM
2- चीन के पास HQ-9 मिसाइल सिस्टम के कई वेरिएंट हैं। इसकी अधिकतम रेंज 100 किमी से 300 किमी तक है। इसके शामिल होने के बाद पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा को काफी मजबूत कर दिया है। पाकिस्तान ने यह भी दावा किया कि यह एयर डिफेंस सिस्टम एक साथ कई ठिकानों को इंटरसेप्ट कर सकता है। जानकारों का दावा है कि चीन ने इस मिसाइल सिस्टम को रूस के S-300 और अमेरिका के MIM-104 पैट्रियट मिसाइल सिस्टम की तकनीक पर विकसित किया है।
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