डेस्क न्यूज़- परमाणु बमों और महाविनाशक मिसाइलों से लैस उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग से पाकिस्तान की दोस्ती लगातार बढ़ती जा रही है। उत्तर कोरिया और पाकिस्तान की इस नापाक दोस्ती में चीन एक मजबूत कड़ी की भूमिका निभा रहा है। इस बीच भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि पिछले तीन साल में 1718 उत्तर कोरियाई जहाजों ने दुनिया के कई देशों का गुप्त दौरा किया है। ऐसे में यह आशंका बढ़ती जा रही है कि उत्तर कोरिया लंबी दूरी की मिसाइलों की तकनीक और परमाणु बम बनाने की तकनीक में पाकिस्तान की मदद कर रहा है।
यह आशंका ऐसे समय में उठाई जा रही है जब भारतीय जांच एजेंसियों ने पिछले साल गुजरात के कांडला बंदरगाह पर एक चीनी जहाज Dai Cui Yun से आटोक्लेव बरामद किया था। मिसाइलों की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए आटोक्लेव का उपयोग किया जाता है। जांच में पता चला कि चीनी जहाज चोरी से पाकिस्तान के कराची बंदरगाह जा रहा था। Zee News की रिपोर्ट के मुताबिक इस आटोक्लेव का इस्तेमाल पाकिस्तान की शाहीन मिसाइल के लिए किया जाना था।
उत्तर कोरिया-चीन-पाकिस्तान के बीच हथियारों की तस्करी और उनकी तकनीक को लेकर पहले भी खबरें आती रही हैं। पाकिस्तानी परमाणु हथियारों के निर्माता एक्यू खान पर उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक की आपूर्ति करने का आरोप लगाया गया था। ऐसे में उत्तर कोरिया के 1718 जहाजों के रहस्यमयी दौरे से यह संदेह बढ़ता जा रहा है कि क्या दोनों देश फिर से परमाणु और मिसाइल प्रौद्योगिकी पर एक दूसरे की मदद कर रहे हैं।
उत्तर कोरिया के जहाजों की इस हरकत पर अमेरिका ने भी चिंता जताई है। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि उत्तर कोरिया के 1718 जहाजों में से कितने चीन या पाकिस्तान गए और उनमें क्या सामान लदा हुआ था। इससे पहले जून 2020 में एक जर्मन रिपोर्ट में कहा गया था कि परमाणु, जैविक और रासायनिक हथियारों पर चीन, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच गठबंधन था।
चीन काराकोरम हाईवे के जरिए पाकिस्तान को परमाणु सामग्री भेजना जारी रखता है। जर्मन रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दोस्ती का मकसद हथियारों के शस्त्रागार को पूरा करना, उनकी रेंज बढ़ाना, उनकी क्षमता में सुधार करना और नए हथियार सिस्टम विकसित करना है। ये तीनों देश जर्मनी से अवैध रूप से जरूरी तकनीक हासिल करने की कोशिश भी कर रहे हैं।