जुलाई महीने के एक मंगलवार की सुबह भारतीय मैनेजमेंट संस्थान यानी IIM इंदौर के डायरेक्टर हिमांशु राय कैंपस लॉन में नए स्टूडेंट्स की क्लास लेने आए। जब वो पढ़ा रहे थे तब स्टूडेंट्स को पक्षियों के चहचहाने की आवाज भी सुनाई दे रही थी।
इतने बड़े संस्थान में बच्चों को क्लासरूम के बजाए लॉन में पढ़ाने का आइडिया बिना वजह नहीं था। बल्कि इसके पीछे एक सोची-समझी नीति थी। वो मैनेजमेंट और बिजनेस स्कूलों में शुरू हुए एक नए ट्रेंड को बड़ी आसानी से समझा रहे थे।
डायरेक्टर ने स्टूडेंट्स को बताया कि ये क्लास बैलेंस शीट मैनेजमेंट या प्रॉफिट ऑप्टिमाइजेशन के बारे में नहीं है। ये क्लास आज के जमाने के मैनेजर्स तैयार करने के लिए है। आज कंपनियों को ऐसे मैनेजर्स चाहिए जो उनके यहां इन्वायरनमेंट, सोशल और गवर्नेंस यानी ESG के पैमाने टॉप पर रखें।
दरअसल, मार्केट रेगुलेटर, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने हाल ही में टॉप 1,000 लिस्टेड कंपनियों को एक निर्देश दिया है।
इसमें उसने इन कंपनियों को बिजनेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनिबिल्टी रिपोर्ट यानी BSR जमा करने को कहा। इसमें कंपनी के पैसों के हिसाब-किसाब के साथ अब उनको ये बताना पड़ेगा कि कंपनी में ESG की रेटिंग क्या है। यानी कंपनी इन्वायरनमेंट, सोशल और गवर्नेंस के लिए क्या कर रही है।
सेबी अगले साल से ESG की रेटिंग लिस्टेड कंपनियों के लिए अनिवार्य करने जा रही है। इसके लागू होते ही कंपनियों को वेस्ट मैनेजमेंट, प्रदूषण को रोकने के लिए क्या किया, पर्यावरण को बचाने के लिए क्या किया, समाज के लिए क्या किया, इन सब के जवाब लिखित में देने होंगे।
उदाहरण के लिए फूड डिलीवरी फर्म जोमैटो ने कहा कि वह अपने पूरे डिलीवरी सिस्टम को 2030 तक इलेक्ट्रिक कर देगा। इससे यह बिजनेस इन्वायरनमेंट फ्रेंडली हो जाएगा।
बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी के निदेशक हरिवंश चतुर्वेदी ने कहा कि मैनेजमेंट कॉलेज के कोर्स में तेजी से बदलाव आया है। बीते 3 सालों में हेल्थ मैनेजमेंट, इन्वायरनमेंट और सोशल सब्जेक्ट के इर्द-गिर्द में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू हुए हैं।
IIM इंदौर के डायरेक्टर हिमांशु राय का कहना है कि ट्रेडिशनल MBA कोर्सेज के सिलेबस में इन्वायरनमेंट, कॉर्पोरेट गर्वनेंस और सोशल स्टडी अनिवार्य कर दिए गए हैं। संस्थान ऐसा कोर्स चला रहे है, जिनमें बच्चों को कम से कम 7 से 15 दिन के लिए गांव में भेजा जाता है। ताकि वो वहां की सामाजिक चुनौतियों को समझ लें।
XLRI जमशेदपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर टाटा एल रघु राम ने कहा कि बी-स्कूल्स में 5 से ज्यादा ऐसे सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए हैं। साथ ही कैंपस में वो खुद भी हरियाली बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल, इन दिनों कई कंपनियां या संस्थान नॉन फाइनेंशियल फैक्टर्स के कारण नुकसान सह रहे हैं।
ये मामला आपदाओं से जुड़ा है। जैसे 21 जुलाई को चीनी के झेंग्झौ शहर मे बाढ़ आ गई। ये शहर एपल आईफोन के प्रोडक्शन के लिए जाना जाता है। बाढ़ के बाद एपल का ऑफिस बंद है। अब इस तरह की एक्सट्रीम वेदर वाली घटनाएं दुनिया में हर जगह आम होती जा रही हैं। इसलिए कंपनी ऐसे मैनेजर चाहती हैं जो ऐसे समय में कंपनी को बचाएं।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार एशिया, अमेरिका और यूरोप में हीट वेब, बाढ़, बादल फटने जैसी एक्सट्रीम वेदर कंडीशन बीते 20 साल में 300% बढ़ गई हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने 2020 के एक नोट में कहा कि 2018 में प्राकृतिक आपदाओं से दुनिया को 165 बिलियन डॉलर यानी करीब 1225 हजार करोड़ का नुकसान हुआ।
WEF ने दुनिया की 200 से अधिक सबसे बड़ी फर्मों पर स्टडी की। इसके आधार पर कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले समय में ये कंपनियां इससे निपटने के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च करेंगी।
नॉन फाइनेंशियल फैक्टर्स के चलते हो रहे फाइनेंशियल लॉस के बाद कंपनियों ने ऐसे मैनेजर ढूंढने शुरू किए हैं जिन्हें ESG की अच्छी समझ हो। बीते 28 जून को क्रिसिल लिमिटेड ने भारत में 18 क्षेत्रों में 225 कंपनियों के लिए ESG स्कोर लॉन्च किया।
इसमें आईटी कंपनियों और वित्तीय फर्मों के ESG स्कोर ज्यादा थे। इनके यहां कम एमिशन, वेस्ट प्रोडक्शन और कम पानी का उपयोग होता है। इसके उलट तेल और गैस, केमिकल, मेटल और खनन और सीमेंट कंपनी का ESG स्कोर कम था। इनके एमिशन का लेवल बहुत ज्यादा होता है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशु सुयश ने कहा कि ESG पहले से ही सरकारों, रेगुलेटरों, इन्वेस्टर्स, फाइनेंसर्स और कॉर्पोरेट्स के फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अब ये इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट इंडस्ट्री को बदल देगा।
कंपनियों में ESG स्कोर लॉन्च होने के बाद पढ़ाई पर सबसे ज्यादा फर्क पड़ा है। संस्थान खुद अपने यहां इस स्कोर को बेहतर करने के सीधे अनुभवों से अपने छात्रों को इसके बारे में समझा रहे हैं।
यहां स्टूडेंट्स के लिए सस्टेनेबल विकास लक्ष्य यानी SDG तय किया गया है। इसका मतलब है कि उन्हें गांव में जाकर रहना होगा। संस्थान कम से कम 10% एनर्जी सौर ऊर्जा से पूरी करता है।
ये करीब 30% एनर्जी सौर ऊर्जा और एक बायोगैस प्लांट से पूरा करता है। ये खुद को तीन से पांच सालों में कार्बन न्यूट्रल बनाने की घोषणा कर चुका है। हाल ही में शुरू हुए बिट्स स्कूल ऑफ मैनेजमेंट ने "जीरो कार्बन फुटप्रिंट कैंपस" बनने का लक्ष्य रखा है।
ये कॉर्पोरेट फाइनेंस में इंटरनल कार्बन प्राइसिंग (ग्रीनहाउस गैस एमिशन पर एक मॉनेटरी वैल्यू) को पढ़ा रहे हैं। ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट में इम्प्लॉइज के स्किल को सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तौर पर शामिल करना होगा।
IIM लखनऊ सस्टेनेबल मैनेजमेंट में एमबीए की डिग्री भी देता है। नोएडा के एमिटी बिजनेस स्कूल ने नेचुरल रिसोर्सेज एंड सस्टेनेबिलिटी में एमबीए प्रोग्राम शुरू किया है। मुंबई में जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, IIFT दिल्ली, IIM रोहतक, IIM काशीपुर, जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट भुवनेश्वर में भी सस्टेनेबल मैनेजमेंट पढ़ाया जाता है।