बॉलीवुड डेस्क न्यूज – सुशांत सिंह राजपूत और इरफ़ान खान के करिअर की तुलना करें तो यह कहना गलत नहीं होगा की दोनों ने अपने-अपने स्तर पर संघर्ष किया, लेकिन इरफ़ान खान ने अपने जीवन के 20 साल संघर्ष कर बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई और फिर फिल्म इंडस्ट्रीस में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। जबकि सुशांत एक युवा कलाकार थे, लेकिन उनका करियर को लेकर संघर्ष उतना कठिन नहीं था जितना इरफान ने अपने करियर में किया, और उसका प्रतिफल इरफान को मिला भी… लेकिन फिर भी सुशांत ने मानसिक तनाव के कारण अपना जीवन खत्म कर दिया। जिस पर कई सवाल खड़े होते हैं।
– क्या सुशांत सिंह कायर थे ? जब इरफ़ान खान ने अपनी लाइफ में २० साल इसी बॉलीवुड इंडस्ट्रीस में संघर्ष किया तो वही सुशांत ने अपनी लाइफ के इस संघर्ष को ही ख़त्म कर दिया,हालांकि आत्महत्या भी एक जुर्म ही है यदि इस जुर्म के नजरिये से देखें तो कहीं न कहीं कायरता को तो दर्शाती है साथ ही बुजदिली भी सामने आती है?
– आज बॉलीवुड इंडस्ट्रीज में और कई युवा-पीढ़ी हैं जो अपने करियर के लिए बिना किसी पारिवारिक सपोर्ट के संघर्ष कर रहे हैं, बात करें राजकुमार राव की तो आज वह भी इसी इनडस्ट्री में अपने संघर्ष के दम पर आगे बड़े हैं।
– इरफ़ान खान की बीमारी से मृत्यु हुई तब नेपोटिज्म को लेकर कोई मसला नहीं उठा। ना इरफ़ान को लेकर सोशल मीडिया पर उने संघर्ष को लेकर कोई बहस हुई।
बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के निधन ने उनके फैंस को झकझोर कर रख दिया है. एक्टर ने 34 वर्ष की उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह दिया था.
उनके निधन के बाद से ही सोशल मीडिया पर लगातार परिवारवाद को लेकर आवाज उठाई जा रही है, साथ ही लोग मामले की सीबीआई जांच की भी मांग कर रहे हैं. वहीं, हाल ही में सुशांत सिंह राजपूत के निधन को लेकर इरफान खान (Irrfan Khan) के बेटे बाबिल खान (Babil Khan) ने लंबी-चौड़ी पोस्ट शेयर की है,
जिसमें उन्होंने फैंस से अपील की कि इस घटना के लिए दूसरों पर इल्जाम डालना बंद करें. इसके साथ ही बाबिल खान ने अपनी पोस्ट में लिखा कि इस घटना का कारण ढूंढना बंद करें.
मैं आप लोगों से आग्रह करता हूं कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए किसी को दोष न दें. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इस कारण की जांच बंद करें."
बाबिल खान (Babil Khan) ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, "यह उन लोगों के लिए अधिक निराशा लाता है, जो इस घटना से गुजर रहे हैं. इसकी जगह हमें इन ईमानदार लोगों के उत्कर्ष का जश्न मनाना चाहिए. मैं कह रहा हूं कि सुशांत के नाम का प्रयोग किये बिना सही चीजों के लिए खड़े होइये.
अगर आप परिवारवाद के खिलाफ विद्रोह करना चाहते हैं तो ऐसा करें, लेकिन सुशांत के नाम का उपयोग किसी भी कारण से न करें. किसी भी मामले में सही चीजों के लिए खड़े हो जाइये."
युवाओं का आरोप है कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म का शिकार होने से उभरते सितारे सुशांत ने आत्महत्या की है। लेकिन क्या आत्महत्या करना ही जिंदगी का सही विकल्प है और आज वर्तमान परिस्थिति को देखे तो बॉलीवुड में कई सेलिब्रिटीस ने अपनी जिंदगी को ख़त्म किया है। जिया खान,कुशाल पंजाबी, प्रतुष्या कई सेलिब्रिटीज ने सुसाइड किया है। लेकिन सही मायने में सुसाइड ही सही विकल्प नहीं होता ऐसी मान्यता है की 84 लाख योनियों के बाद मानव जाती में जन्म मिलता है।
ऐसे में जिंदगी को चंद सेकंड के अंदर ख़त्म कर देना एक कायरता से कम नहीं है जिंदगी में मनुष्ये को हर परिस्थिति का सामना करना पड़ता है कई उत्तार – चढ़ाव भी आते है जहा रास्ता ख़त्म हो वहा उम्मीद की नई किरण भी होती है इसी तरह सुशांत सिंह राजपूत का अपने जीवन पर विराम चिन्ह लगाना और परिस्थितियों का सामना नहीं करना अपने आप में कायरता की और प्रश्नचिह्न उठाते है।
अब इसी बीच एक्टर शेखर सुमन ने भी एक्टर की मौत और अनिनेता की मौत पर अपना रिएक्शन दिया है।जानकारी के लिए बता दें कि बॉलीवुड में कई लोग बॉलीवुड में चल रहे नेपोटिज्म के खिलाफ आवाज उठाई है तो वहीं अभी कई लोग खामोश हैं । शेखर सुमन ने ऐसे लोगों को ही अपना निशाना बनाया है। शेखर सुमन ने ट्वीट करते हुए लिखा कि " फिल्म इंडस्ट्री के सारे शेर बनने वाले कायर सुशांत के चाहनेवालों के कहर से, चूहे बनकर बिल में घुस गए हैं। मुखौटे गिर गये हैं। पाखंडी लोग उजागर हो गए हैं। बिहार और भारत चुप नहीं बैठने वाले जब तक दोषियों को सज़ा नहीं दी जाती। बिहार जिंदाबाद"।
आपको बता दे शेखर सुमन भी बिहार के रहने वाले हैं। शेखर ने जिस तरह का ट्वीट किया है उससे साफ जाहिर है कि बॉलीवुड की गुटबाजी और नेपोटिज्म के वो विरोधी है। शेखर सुशांत के सुसाइड के बाद से भी बॉलीवुड के कुछ लोगों को उनकी आत्महत्या का दोषी मान रहे हैं। वो लगातार सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं।
मानसिक विकार आम तौर पर आत्महत्या के समय उपस्थित रहते हैं जिनका अनुमान 27 से लेकर 90 प्रतिशत से अधिक तक होता है। वे जिनको किसी मनोवैज्ञानिक इकाइयों में भर्ती किया गया हो उनके द्वारा जीवन में आत्महत्या को पूरा करने की संभावना 8.6 प्रतिशत होती है। आत्महत्या करके मरने वाले समस्त लागों में से आधे को प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार होता है; इसके या द्विध्रुवी विकार जैसे दूसरे मनोदशा विकारों के कारण आत्महत्या का जोखिम 20 गुना तक बढ़ जाता है। अन्य परिस्थितयों में विखंडितमनस्कताग्रस्त(14%), व्यक्तित्व विकार द्विध्रुवी विकारऔर अभिघातज तनाव पश्चात विकार शामिल है विखंडितमनस्कताग्रस्त से पीड़ित लगभग 5% लोग आत्महत्या के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं। भोजन विकार एक और उच्च जोखिम परिस्थिति है। पहले के आत्महत्या के प्रयासों का इतिहास आत्महत्या के अंततः पूर्ण होने का सबसे बड़ा भविष्यवक्ता होता है।
आत्महत्या के लगभग 20% मामलों में पहले भी प्रयास होते हैं और जो पहले आत्महत्या का प्रयास कर चुके होते हैं उनमें से 1% लोग, एक साल के भीतर ही आत्महत्या पूर्ण कर लेते हैं और 5% से अधिक 10 सालों के बाद आत्महत्या करते हैं। जबकि खुद को चोट पहुंचाने की क्रिया को आत्महत्या के प्रयास के रूप में नहीं देखा जाता है, फिर भी खुद को चोट पहुंचाने से संबंधित व्यवहार को आत्महत्या के बढ़े जोखिम से जोड़ कर देखा जाता है।पूर्ण हु ए आत्महत्या के लगभग 80% मामलों में लोग अपनी मृत्यु के पहले एक साल के भीतर चिकित्सक से मिल होते हैं, और सुशांत सिंह के सुसाइड केस में उनका भी पूर्व में चिकित्सक से इलाज चल रहा था ।
Like and Follow us on :।
YouTube